धर्म

राधा अष्टमी 2025: राधा अष्टमी पर न करें ये 7 गलतियां, वरना व्रत का फल नहीं मिलेगा

राधा अष्टमी 2025 पर व्रत का फल पाना है तो इन 7 गलतियों से बचें। जानें राधा अष्टमी की तिथि, पूजा विधि, नियम और क्या करें, क्या न करें।

राधा अष्टमी 2025: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीराधा रानी का प्राकट्य दिवस माना जाता है, जिसे राधा अष्टमी 2025 के रूप में श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है। यह पर्व 31 अगस्त 2025 (रविवार) को देशभर में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन व्रत, पूजन और नियमों का पालन कर राधा रानी को प्रसन्न किया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि जो साधक राधा अष्टमी पर श्रद्धा और नियमों के साथ व्रत करता है, उसे भगवान श्रीकृष्ण की कृपा भी सहज रूप से प्राप्त होती है। लेकिन अगर कुछ विशेष बातों का ध्यान नहीं रखा गया, तो व्रत का पूरा फल नहीं मिलता। आइए जानते हैं राधा अष्टमी के दिन क्या करें और क्या नहीं।

राधा अष्टमी 2025: व्रत की तिथि और महत्व

  • राधा अष्टमी तिथि: 31 अगस्त 2025, रविवार

  • अष्टमी तिथि प्रारंभ: 30 अगस्त को रात 10:46 बजे

  • अष्टमी तिथि समाप्त: 31 अगस्त को रात 10:17 बजे

  • सूर्योदय में अष्टमी तिथि विद्यमान होने के कारण 31 अगस्त को व्रत रखा जाएगा।

राधा अष्टमी 2025 के दिन भक्तगण स्नान-ध्यान कर व्रत, भजन-कीर्तन, राधा-कृष्ण की पूजा करते हैं। यह व्रत विशेष रूप से दांपत्य सुख, सौंदर्य, प्रेम और आध्यात्मिक उन्नति के लिए फलदायक माना जाता है।

राधा अष्टमी पर क्या करें?

  1. ब्रह्मचर्य का पालन करें – मानसिक और शारीरिक संयम आवश्यक है।

  2. ललिता सप्तमी से व्रत नियम शुरू करें – व्रत की पूर्व संध्या से संयम रखें।

  3. लाल और पीले फूलों से राधा रानी की पूजा करें – ये रंग राधा जी को अत्यंत प्रिय हैं।

  4. गौ सेवा करें – गाय माता की सेवा से पुण्य और सौभाग्य प्राप्त होता है।

  5. दान-पुण्य करें – अन्न, वस्त्र, धन का दान करने से व्रत का पूर्ण फल मिलता है।

  6. घर के बुजुर्गों का सम्मान करें – उनका आशीर्वाद राधा कृपा का द्वार खोलता है।

  7. पारण नवमी को करें – व्रत का पारण नवमी तिथि के शुभ मुहूर्त में करें, पंडित से सलाह लें।

राधा अष्टमी 2025 पर क्या न करें?

  1. काले रंग के वस्त्र न पहनें – यह रंग तामसिक प्रवृत्ति का प्रतीक है।

  2. झूठ, छल और कटु वाणी से बचें – यह व्रत में पाप का कारण बनते हैं।

  3. नाखून और बाल न काटें – यह कार्य अशुभ माने जाते हैं।

  4. लहसुन-प्याज व मांसाहार से दूर रहें – सात्विकता बनाए रखें।

  5. तामसिक विचार और क्रोध से बचें – मन और वाणी पर नियंत्रण रखें।

  6. किसी को अपमानित न करें – राधा जी करुणा और प्रेम की देवी हैं।

  7. गंदे जल या बासी फलाहार से परहेज करें – शुद्ध व ठंडा जल ही ग्रहण करें।

राधा अष्टमी व्रत का फल क्या मिलता है?

राधा अष्टमी का व्रत करने से व्यक्ति को प्रेम, सौंदर्य, भक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत गृहस्थ जीवन की शांति, संतान सुख, और कष्टों की निवृत्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। जो जातक पूरे नियमों के साथ यह व्रत करता है, उसे जीवन में कभी किसी प्रकार की कमी नहीं रहती।

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