राघव चड्ढा ने डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स की सुरक्षा के लिए 1957 के कॉपीराइट अधिनियम में संशोधन की मांग की, ताकि उचित उपयोग और मनमाने एल्गोरिदम के जोखिम से बचा जा सके।
आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता राघव चड्ढा ने डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 1957 के कॉपीराइट अधिनियम में सुधार की मांग की है। उन्होंने राज्यसभा के शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि डिजिटल क्रिएटर्स की आजीविका कानून द्वारा निर्धारित होनी चाहिए, न कि मनमाने एल्गोरिदम द्वारा।
चड्ढा ने कहा कि लाखों भारतीय अब शिक्षक, समीक्षक, व्यंग्यकार, मनोरंजनकर्ता, संगीतकार और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के रूप में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, “चाहे उनका यूट्यूब चैनल हो या इंस्टाग्राम पेज, यह उनके लिए केवल मनोरंजन का साधन नहीं है। यह उनकी आय और संपत्ति है। यह उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम है।”
Today in Parliament, I spoke on Fair Use and Copyright Strikes on Digital Content.
Millions of Indians are now digital content creators. Their channels & pages are valuable assets built over years of hard work, which get taken-down by Copyright Strikes.
India’s Copyright Act,… pic.twitter.com/4eYGwkbTrJ
— Raghav Chadha (@raghav_chadha) December 18, 2025
उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स द्वारा किए जाने वाले मनमाने कॉपीराइट स्ट्राइक के खतरों को उजागर किया और कहा कि कंटेंट क्रिएटर्स अपने चैनल खोने का जोखिम उठाते हैं, भले ही वे सामग्री का उपयोग केवल 2-3 सेकंड के लिए टिप्पणी, आलोचना, पैरोडी, शैक्षिक या समाचार रिपोर्टिंग उद्देश्यों के लिए करें।
राघव चड्ढा ने स्पष्ट किया कि वे कॉपीराइट धारकों के अधिकारों का सम्मान करते हैं, लेकिन उचित उपयोग (Fair Use) को चोरी के समान नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “जहां कभी-कभी सामग्री का उपयोग आकस्मिक या परिवर्तनकारी होता है, वह किसी की मेहनत को मिटाने के बराबर नहीं होना चाहिए। नवाचार और रचनात्मकता को खतरे में नहीं रखा जा सकता।”
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उन्होंने बताया कि भारत का कॉपीराइट अधिनियम 1957 के समय इंटरनेट, कंप्यूटर या डिजिटल प्लेटफॉर्म्स मौजूद नहीं थे। इसलिए, इस अधिनियम में डिजिटल क्रिएटर्स की परिभाषा शामिल नहीं है।
राघव चड्ढा ने सदन में तीन मुख्य मांगें रखीं:
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1957 के अधिनियम में संशोधन ताकि डिजिटल उचित उपयोग की स्पष्ट परिभाषा हो, जिसमें टिप्पणी, व्यंग्य, आलोचना, परिवर्तनकारी उपयोग, आकस्मिक उपयोग, शैक्षिक और गैर-वाणिज्यिक उपयोग शामिल हों।
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कॉपीराइट प्रवर्तन में आनुपातिकता (Proportionality) लागू की जाए, ताकि कुछ सेकंड की पृष्ठभूमि सामग्री के कारण पूरी सामग्री को हटाया न जा सके।
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अनिवार्य उचित प्रक्रिया (Due Process) अपनाई जाए, ताकि सामग्री हटाने से पहले कंटेंट क्रिएटर को सुनवाई का अवसर मिले।
चड्ढा का कहना है कि इन संशोधनों से डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर काम करने वाले लाखों भारतीय क्रिएटर्स की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और रचनात्मकता को बढ़ावा मिलेगा।
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