Chandra Grahan 2025: सितंबर 2025 में सूर्य और चंद्र ग्रहण का दुर्लभ संयोग, जानिए भारत पर क्या रहेगा प्रभाव
Chandra Grahan 2025: सितंबर 2025 में चंद्र ग्रहण 7 तारीख को और सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को लगेगा। जानें भारत में कब दिखेगा ग्रहण, सूतक काल, और धार्मिक प्रभाव।
Chandra Grahan 2025: सितंबर 2025 का महीना खगोलीय दृष्टि से बेहद खास रहने वाला है। इस बार एक ही माह में दो ग्रहण लग रहे हैं पूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को और आंशिक सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को। ज्योतिष और धार्मिक दृष्टिकोण से दोनों ग्रहणों का विशेष महत्व होता है। इनमें से एक ग्रहण भारत में दृश्यमान होगा, जबकि दूसरा नहीं।
Chandra Grahan 2025: भारत में दिखाई देगा, धार्मिक नियम होंगे लागू
इस साल का पहला Chandra Grahan 2025 7 सितंबर को लग रहा है, जो पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। यह ग्रहण भारत सहित अंटार्कटिका, एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और हिन्द महासागर के क्षेत्रों में साफ तौर पर दिखाई देगा। भारतीय समयानुसार चंद्र ग्रहण का स्पर्श रात्रि 9:57 बजे होगा, मध्यकाल 11:41 बजे और मोक्ष रात्रि 1:27 बजे होगा। चूंकि यह भारत में दिखाई देगा, इसलिए सभी धार्मिक नियम, विशेष रूप से सूतक काल, मान्य होंगे।
सूतक काल ग्रहण से नौ घंटे पूर्व यानी 7 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से शुरू होकर 1:27 बजे रात्रि तक रहेगा। इस दौरान मंदिरों के पट बंद रहेंगे और धार्मिक अनुष्ठान स्थगित रहेंगे। मंदिरों के द्वार 8 सितंबर को सुबह पुनः खोले जाएंगे। Chandra Grahan 2025 का ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष महत्व है और इसे मानसिक स्थिति, भावनात्मक उतार-चढ़ाव और पारिवारिक संबंधों पर प्रभाव डालने वाला माना जाता है।
Surya Grahan 2025: भारत में नहीं दिखाई देगा, नहीं लगेगा सूतक
21 सितंबर 2025 को आंशिक सूर्य ग्रहण लगेगा, जो रात 11 बजे शुरू होकर 22 सितंबर को तड़के 3:24 बजे तक चलेगा। यह ग्रहण कुल 4 घंटे 24 मिनट तक चलेगा। हालांकि, यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए भारत में इसका सूतक काल प्रभावी नहीं होगा और न ही कोई धार्मिक कार्य बाधित होंगे।
यह सूर्य ग्रहण अमेरिका, समोआ, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिजी और अटलांटिक महासागर के क्षेत्रों में देखा जा सकेगा। भारत में न दिखाई देने के कारण इसका ज्योतिषीय प्रभाव भी सीमित ही रहेगा।
Surya Grahan or Chandra Grahan का ज्योतिषीय और धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म और ज्योतिष में Surya Grahan और Chandra Grahan 2025 का गहरा महत्व होता है। ग्रहण को अशुभ काल माना जाता है, जिसमें पूजा-पाठ, खाना बनाना और किसी भी शुभ कार्य की मनाही होती है। चंद्र ग्रहण का प्रभाव मन और मस्तिष्क पर देखा जाता है, जबकि सूर्य ग्रहण का प्रभाव शरीर, आत्मबल और निर्णय क्षमता पर पड़ता है। हालांकि, यह प्रभाव व्यक्ति की राशि और जन्मपत्रिका पर भी निर्भर करता है।
इस बार चंद्र ग्रहण का संयोग पितृ पक्ष की शुरुआत पर हो रहा है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इसे पितरों की शांति और तर्पण काल से जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं सूर्य ग्रहण पितृ पक्ष की समाप्ति यानी महालया अमावस्या के दिन लगेगा, हालांकि भारत में प्रभावी न होने से धार्मिक कार्यों में किसी प्रकार की रोक नहीं होगी।
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