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रक्षाबंधन 2025: इस साल भद्रा का साया नहीं रहेगा, जानिए राखी बांधने का सबसे शुभ समय और शुभ योग

रक्षाबंधन 2025 पर भद्रा का साया नहीं रहेगा। जानिए राखी बांधने का सबसे शुभ समय, अभिजीत मुहूर्त और इस दिन के खास शुभ योग के बारे में विस्तार से।

रक्षाबंधन 2025: रक्षाबंधन, भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक त्योहार, साल 2025 में 9 अगस्त को मनाया जाएगा। खास बात यह है कि इस बार कई वर्षों बाद रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया नहीं रहेगा, जो राखी बांधने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा, इस दिन कई महत्वपूर्ण शुभ योग भी बनेंगे, जो पूरे त्योहार को और भी खास बनाएंगे। आइए जानते हैं, रक्षाबंधन 2025 पर राखी बांधने के लिए सबसे शुभ मुहूर्त और इस दिन के खास योग।

राखी बांधने का शुभ समय- रक्षाबंधन 2025 मुहूर्त

रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। साल 2025 में पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त दोपहर 2:14 बजे से शुरू होकर 9 अगस्त को 1:26 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार, रक्षाबंधन 9 अगस्त को ही मनाया जाएगा।

  • भद्रा का साया 8 अगस्त को खत्म हो जाएगा, इसलिए 9 अगस्त का दिन भद्रा से मुक्त रहेगा।

  • राखी बांधने के लिए सबसे शुभ समय सूर्योदय से लेकर दोपहर 1:26 बजे तक रहेगा।

  • अभिजीत मुहूर्त, जो दोपहर 11:59 से 12:53 बजे तक होता है, राखी बांधने के लिए बेहद शुभ माना जाता है।

  • जो लोग दोपहर तक राखी नहीं बांध पाएं, वे शाम को भी राखी बांध सकते हैं क्योंकि पूर्णिमा तिथि उदयातिथि में ढाई घंटे से अधिक समय तक बनी रहेगी।

रक्षाबंधन के दिन बनने वाले शुभ योग

रक्षाबंधन 2025 में तीन प्रमुख शुभ योग बन रहे हैं, जो त्योहार की महत्ता को बढ़ाते हैं:

  • सौभाग्य योग: यह योग सौभाग्य और खुशहाली का प्रतीक होता है।

  • शोभन योग: शोभन योग सौंदर्य और सफलता से जुड़ा होता है।

  • सर्वार्थसिद्धि योग: इस योग में सभी कार्यों में सफलता मिलने की संभावना अधिक होती है।

इन शुभ योगों के चलते न केवल राखी बांधना, बल्कि अन्य धार्मिक और शुभ कार्य भी रक्षाबंधन के दिन अत्यंत फलदायक माने जाएंगे।

रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व

रक्षाबंधन का इतिहास रक्षा सूत्र से जुड़ा हुआ है। प्राचीन काल में ऋषि-मुनि तपस्या और यज्ञ की सुरक्षा के लिए राजाओं को रक्षा सूत्र बांधा जाता था। राजा इस रक्षा सूत्र के माध्यम से ऋषि-मुनियों की सुरक्षा करते थे। समय के साथ यह परंपरा भाई-बहनों के बीच बढ़ी, जहां बहनें अपने भाइयों के हाथों में रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई उनकी सुरक्षा का वचन देते हैं। यह त्योहार भाई-बहन के प्यार, सुरक्षा और समर्पण का प्रतीक बन गया है।

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