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Rot Teej 2025: जैन धर्म में मनाया जाता है रोट तीज, जीवन को देता है एक अनमोल संदेश

Rot Teej 2025 जैन धर्म का विशेष व्रत है, जिसमें 24 तीर्थंकरों की पूजा की जाती है और संयम का संदेश मिलता है। जानें व्रत के नियम, पूजा विधि और इसका आध्यात्मिक महत्व।

Rot Teej 2025 Date: जैन धर्म में भाद्रपद माह की शुक्ल तृतीया को बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ रोट तीज या त्रिलोक तीज मनाया जाता है। यह पर्व हर साल 26 अगस्त को पड़ रहा है और इस दिन जैन अनुयायी 24 तीर्थंकरों की पूजा-अर्चना करते हैं। हिंदू धर्म में इसी दिन को हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाता है, लेकिन जैन धर्म में इसका विशेष धार्मिक महत्व है।

रोट तीज का धार्मिक महत्व

रोट तीज जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है जो आत्मा की शुद्धि और मुक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इस दिन व्रतधारी केवल एक ही प्रकार के अनाज से बनी रोटी का सेवन करते हैं, जो संयम और साधना का प्रतीक है। यह व्रत न केवल पूजा-पाठ का अवसर होता है, बल्कि जीवन में भौतिक सुखों से ऊपर उठकर मानसिक शांति और आत्मानुशासन की सीख भी देता है।

रोट तीज के दौरान किए जाने वाले कर्म

रोट तीज के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर, साफ-सुथरे कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन पुरुष और स्त्रियां दोनों मिलकर मंदिर जाकर 24 तीर्थंकरों की पूजा (चौबीसी विधान) करते हैं। पुरुष भगवान की मूर्ति का अभिषेक करते हैं, जबकि सभी विधि-विधान से पूजा-अर्चना और व्रत कथा का पाठ करते हैं।

पूजा के दौरान विशेष मंत्रों का जप भी किया जाता है, जैसे:

  • ॐ ह्रीं श्री क्लीं चौबीसी व्रताय जन्म जरा मृत्यु विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा

  • ॐ ह्रीं वृषाभादि-महावीर-पर्यंत-चतुर्विशति-तीर्थंकर असि आ उसा नम: स्वाहा

रोट तीज के भोजन में खासतौर पर रोटी, खीर और तुरई की सब्जी बनाई जाती है। इस भोग को पूजा के बाद गाय को खिलाना भी एक धार्मिक अनुष्ठान है।

रोट तीज व्रत के नियम और महत्व

इस व्रत को 3, 12 या 24 वर्षों तक रखा जा सकता है। इस दिन एकासन (दिन में केवल एक बार भोजन) किया जाता है, जिसमें केवल एक प्रकार के अनाज से बनी रोटी ही खाई जाती है। इसके साथ ही दान-पुण्य करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।

व्रतधारी इस दिन केलव धर्म ध्यान में लीन रहते हैं और अपने मन से नकारात्मक विचार व आचरण का त्याग करते हैं। रोट तीज का मूल उद्देश्य मानसिक शांति प्राप्त करना और मोक्ष की ओर बढ़ना है।

संयम और साधना का संदेश

रोट तीज जैन धर्म में संयम का सबसे बड़ा उदाहरण है। यह पर्व सिखाता है कि भौतिक सुख-सुविधाएं जीवन की सच्ची खुशी नहीं हैं, बल्कि संयम और आत्मानुशासन से ही मन को स्थिरता मिलती है। जैन अनुयायियों के लिए यह पर्व आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

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