Shani Amavasya 2025: सात पीढ़ियों तक पितृदोष से छुटकारा पाने के लिए शनि अमावस्या पर इन मंत्रों का जाप करें!

Shani Amavasya 2025: अमावस्या तिथि भी हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि की तरह महत्वपूर्ण है।
Shani Amavasya 2025: इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके पितरों को पिंड़दान करना और उनके लिए तर्पण करना अच्छा माना जाता है। इस दौरान कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से पितृदोष भी दूर होता है। कई बार लोग जाने अनजाने कुछ ऐसे काम कर देते हैं, जिससे उनकी कुंडली में पितृदोष उत्पन्न हो जाता है। कहते हैं कि जिन लोगों की कुंडली में यह दोष है, वे जीवन भर कठिनाईयों का सामना करेंगे। पितरों को प्रसन्न करने और पितृदोष से छुटकारा पाने के लिए लोग पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण करते हैं, जिसके लिए पितृपक्ष और अमावस्या तिथि उत्तम हैं। शनिवार इस बार अमावस्या तिथि है। शनिदेव की कृपा पाने के लिए सबसे शुभ दिन शनि अमावस्या है। इस दिन पितरों और शनिदेव की पूजा करने के साथ कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से पितृदोष से छुटकारा पाया जा सकता है।
शनि अमावस्या तिथि
वैदिक पंचांक के अनुसार बार चैत्र माह की अमावस्या तिथि 28 मार्च को शाम 7 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 28 मार्च को शाम 4 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए 29 मार्च को चैत्र अमावस्या तिथि है। दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भी होगा। इसलिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है
पितृदोष से छुटकारा पाने का मंत्र
ॐ पितृभ्यः स्वधायिभ्यः स्वधा नमः।
ॐ श्राध्दाय स्वधा नमः
ॐ श्री सर्व पितृ देवताभ्यो नमो नमः
ॐ पितृभ्यः स्वधायिभ्यः पितृगणाय च नमः
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।।
ॐ पितृदेवतायै च विद्महे जगत्पितृदेवतायै धीमहि। तन्नः पितरः प्रचोदयात्।।
पितृ गायत्री मंत्र
देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च । नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः ।।
शनि अमावस्या का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनिदोष और पितृदोष से छुटकारा पाने के लिए शनि अमावस्या बहुत अच्छी है। पवित्र नदियों में स्नान करना और दान करना इस दिन शुभ होता है। माना जाता है कि इस दिन शनिदेव को सरसों के तेल में काले तिल मिलाकर चढ़ाना शुभ है। काले रंग की मदद करना भी अच्छा माना जाता है। वहीं इस मंत्रों का जाप करने से शनिदोष, पितृदोष तथा कालसर्पदोष से भी मुक्ति पाई जा सकती है।