शारदीय नवरात्रि 2025: महानवमी पर हवन क्यों जरूरी है? जानें इसकी सरल विधि और धार्मिक महत्व
धार्मिक महत्व: हवन क्यों आवश्यक है?
हवन एक वैदिक अनुष्ठान है जिसमें अग्नि को देवताओं का मुख माना जाता है। ‘अग्निमुखं वै देवाः’ की इस मान्यता के अनुसार, हवन में दी जाने वाली आहुति सीधे देवी-देवताओं तक पहुंचती है। महानवमी के दिन किया गया हवन, नवरात्रि के दौरान हुई किसी भी भूल-चूक का प्रायश्चित करता है और देवी की कृपा पाने का माध्यम बनता है। यह अनुष्ठान वातावरण को शुद्ध करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे घर में सुख-शांति और स्वास्थ्य बना रहता है।
हवन से मिलने वाले लाभ
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आध्यात्मिक शुद्धि: हवन के दौरान जलाए गए धुएं से वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
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सकारात्मक ऊर्जा का संचार: हवन से घर में सुख-शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है।
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देवी मां की कृपा: यह अनुष्ठान मां दुर्गा को प्रसन्न करता है और मनोकामनाओं की पूर्ति करता है।
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धार्मिक पूर्णता: नवरात्रि की पूजा हवन के बिना अधूरी मानी जाती है, हवन पूजा को पूर्णता प्रदान करता है।
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हवन के लिए आवश्यक सामग्री
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हवन कुंड
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आम की लकड़ी
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शुद्ध गाय का घी
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कपूर
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अक्षत (चावल)
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हवन सामग्री (जौ, काले तिल, शक्कर आदि का मिश्रण)
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सूखा नारियल या गोला
हवन की सरल विधि
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हवन कुंड को साफ जगह पर स्थापित करें।
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आम की लकड़ियों को व्यवस्थित रखें और कपूर की मदद से अग्नि प्रज्ज्वलित करें।
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गणेश जी और नवग्रहों का ध्यान करें।
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घी डालते हुए आहुति दें।
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मां दुर्गा के नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे स्वाहा’ का 108 बार जाप करें।
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घी और हवन सामग्री से आहुति देते रहें।
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अंत में सूखे गोले में घी भरकर पूर्ण आहुति दें।
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आरती करें और क्षमा याचना करें।
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