Shardiya Navratri : यहां मां कालरात्रि की पूजा की पूरी कहानी पढ़ें।
Shardiya Navratri : माता का रंग काला होता है, इसलिए इन्हें कालरात्रि कहा जाता है।
Shardiya Navratri: 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो गई हैं। नवरात्रि का सातवां दिन है, जिसमें मां कालरात्रि की पूजा की जानी चाहिए। मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति सभी पापों से छुटकारा पाता है और अपने शत्रुओं को भी मार डालता है। माता का रंग काला होता है, इसलिए इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। आइए जानते हैं मां कालरात्रि की आरती और व्रतकथा..।
देवी भागवत पुराण में कालरात्रि को काली का ही रूप बताया गया है। इस युग में काली मां प्रत्यक्ष लाभ देने वाली हैं। काली, भैरव और हनुमान जी जैसे देवता भक्त को तुरंत लाभ देते हैं। काली को कई नाम और रूप मिलते हैं। लोगों को समझने के लिए इन्हें भद्रकाली, दक्षिणकाली, मातृकाली और महाकाली भी कहते हैं। दुर्गा सप्तशती में महिषासुर के वध की कथा में मां भद्रकाली ने कहा कि युद्ध में एक विशाल दैत्य समूह ने देवी को रणभूमि में आते देखा और उनके ऊपर ऐसे बाणों की बरसात करने लगा, जैसे बादल मेरूगिरि के शिखर पर पानी की बारिश कर रहा हो। तब देवी ने अचानक उस बाण समूह को मार डाला, साथ ही उसके घोड़े और सारथियों को भी मार डाला। उसके धनुष और बहुत ऊंची ध्वजा को भी तुरंत काट डाला। धनुष ने अपने बाणों से उसके अंगों को काट डाला। और भद्रकाली ने शूल मारा। वह महादैत्य के प्राणों से हाथ धो बैठा और राक्षस के शूल के सैकड़ों टुकड़े खा गया।
मां कालरात्रि के मंत्र
दंष्ट्राकरालवदने शिरोमालाविभूषणे। चामुण्डे मुण्डमथने नारायणि नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः