श्रावण पूर्णिमा 2025: कैसे रखें व्रत, जानिए संपूर्ण पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व
श्रावण पूर्णिमा 2025 पर कैसे करें व्रत और पूजा? जानिए 9 अगस्त को रक्षाबंधन के साथ मनाए जाने वाले सावन पूर्णिमा व्रत की संपूर्ण विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व।
श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि का हिंदू धर्म में अत्यंत महत्व होता है। इस बार यह तिथि और भी विशेष बन गई है क्योंकि रक्षाबंधन का त्योहार और सावन पूर्णिमा व्रत एक ही दिन 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान शिव, विष्णु और मां लक्ष्मी तीनों की पूजा और कृपा पाने का अत्यंत शुभ अवसर होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन श्रावण पूर्णिमा व्रत एवं पूजा से पापों का नाश होता है, सुख-समृद्धि का आगमन होता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
श्रावण पूर्णिमा व्रत 2025: तिथि और मुहूर्त
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पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 8 अगस्त 2025, दोपहर 02:13 बजे
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पूर्णिमा तिथि समाप्त: 9 अगस्त 2025, दोपहर 01:25 बजे
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स्नान-दान मुहूर्त: 9 अगस्त को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:22 से 05:04 बजे तक
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सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 05:47 से दोपहर 02:23 बजे तक
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अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 12:53 बजे तक
श्रावण पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि
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सुबह स्नान और सूर्य अर्घ्य
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
“ॐ घृणिः सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को जल अर्पित करें। -
पूजा की तैयारी
घर के पूजा स्थल की सफाई करें।
एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और शिवलिंग की स्थापना करें।
दीप प्रज्वलित करें और व्रत का संकल्प लें। -
भगवान को अर्पण
भगवान को भोग, तुलसी दल (विष्णु जी के लिए), बेल पत्र (शिव जी के लिए) अर्पित करें।
राखी भी पूजा में शामिल करें और फिर सावन पूर्णिमा व्रत कथा का पाठ करें। -
सायंकालीन पूजा
जल से भरा कलश रखें और भगवान विष्णु को पंचामृत, केला, पंजीरी अर्पित करें।
सत्यनारायण कथा का आयोजन करें।
पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें। -
चंद्रमा को अर्घ्य और रात्रि भोग
चंद्रमा को जल अर्पित करें और खीर का भोग लगाकर प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।
व्रत में क्या खा सकते हैं?
व्रती इस दिन फलाहार कर सकते हैं, जिसमें शामिल हैं:
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साबूदाना खिचड़ी
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सिंघाड़े के आटे के पराठे
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कुट्टू के आटे की पूरी
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मिठाई या खीर (सेंधा नमक के साथ)
ध्यान दें: व्रत में केवल सेंधा नमक का प्रयोग करें, साधारण नमक का नहीं।
धार्मिक महत्व
श्रावण पूर्णिमा का व्रत करने से भगवान विष्णु, शिव और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत साधक को जीवन की बाधाओं से मुक्ति दिलाता है, पुण्य प्रदान करता है और पारिवारिक सुख-शांति लाता है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो मानसिक शांति, समृद्धि और संतान प्राप्ति की कामना करते हैं।
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