हर घर गोकुल का सपना: 2028 तक दुग्ध उत्पादन में दोगुनी वृद्धि, MP बनेगा भारत का ‘मिल्क हब’
मध्यप्रदेश 2028 तक दुग्ध उत्पादन में दोगुनी वृद्धि कर देश का मिल्क हब बनेगा। ‘हर घर गोकुल’ मिशन के तहत सांची ब्रांड, गोशालाएं और योजनाएं शुरू।
हर घर गोकुल: मध्यप्रदेश सरकार ने 2028 तक राज्य को भारत की ‘मिल्क कैपिटल’ बनाने का संकल्प लिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अगुवाई में राज्य सरकार पशुपालन और दुग्ध उत्पादन को ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार बना रही है। किसानों की आय दोगुनी करने और आत्मनिर्भरता की दिशा में यह योजना एक बड़ा कदम है।
‘हर घर गोकुल’ मिशन के तहत 946 नई दुग्ध समितियां
सरकार ने ‘हर घर गोकुल’ मिशन के तहत राज्य में 946 नई दुग्ध सहकारी समितियों का गठन किया है। इन समितियों का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना, रोजगार सृजन और स्थानीय आजीविका को मजबूत बनाना है।
राज्य में वर्तमान में देश के कुल दुग्ध उत्पादन का 9% हिस्सा है, जिसे 2028 तक 20% तक ले जाने का लक्ष्य है।
सांची ब्रांड को नेशनल ब्रांड बनाने की तैयारी
मध्यप्रदेश सरकार ने सांची ब्रांड को देशभर में लोकप्रिय बनाने के लिए नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) से करार किया है। इससे राज्य में दुग्ध उत्पादों की ब्रांडिंग, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग को मजबूती मिलेगी।
वर्ष 2030 तक 26,000 गांवों में डेयरी नेटवर्क स्थापित करने का लक्ष्य है, जिससे प्रतिदिन 52 लाख लीटर दूध संकलन संभव होगा।
आधुनिक डेयरी इन्फ्रास्ट्रक्चर और ब्रांडिंग पर जोर
राज्य में आधुनिक दूध प्रसंस्करण इकाइयों का विकास किया जा रहा है। साथ ही दूध और दूध उत्पादों की राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना में अनुदान
डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना के तहत 25 दुधारू पशुओं की इकाई (गाय, संकर गाय, भैंस) पशुपालकों को प्रदान की जाएगी, जिसकी लागत ₹36-42 लाख होगी।
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SC/ST वर्ग को 33% अनुदान
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अन्य वर्ग को 25% अनुदान
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गाय के दूध की खरीद और कीमत में बढ़ोतरी
राज्य सरकार अब गाय के दूध की भी खरीद करेगी, और इसकी कीमत को बढ़ाया जाएगा ताकि गाय पालन को भी भैंस पालन जितना ही लाभकारी बनाया जा सके।
स्वावलंबी गो-शाला नीति 2025 के तहत 5000+ गोवंश क्षमता की गोशालाएं
राज्य सरकार ने “स्वावलंबी गो-शाला स्थापना नीति 2025” लागू की है। इसमें ग्वालियर, उज्जैन, भोपाल, इंदौर और जबलपुर जैसे नगरों में 5000+ गोवंश की क्षमता वाली बड़ी गोशालाएं स्थापित की जा रही हैं।
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अब तक 2942 गोशालाएं पंजीकृत
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2828 गोशालाएं सक्रिय संचालन में
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इनमें 4.22 लाख गोवंश का पालन हो रहा है
गोवंश आहार अनुदान में वृद्धि
गोशालाओं के लिए चारा-भूसा अनुदान योजना के अंतर्गत इस वित्त वर्ष में ₹133.35 करोड़, और पिछले वर्ष ₹270.40 करोड़ अनुदान के रूप में जारी किए गए।
मुख्यमंत्री डेयरी प्लस और नस्ल सुधार कार्यक्रम
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मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना सीहोर, रायसेन और विदिशा में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चल रही है।
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नस्ल सुधार के लिए कृत्रिम गर्भाधान और गोकुल मिशन के तहत 1500 “मैत्री केंद्र” स्थापित किए गए हैं।
जनजातीय वर्ग के लिए विशेष योजनाएं
बैगा, सहरिया और भारिया जनजाति के पशुपालकों को 90% अनुदान पर 2 मुर्रा भैंस या गाय दी जा रही हैं। इससे आत्मनिर्भरता और पशुपालन को बढ़ावा मिलेगा।
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