Ekadashi October 2025: अक्टूबर महीने में कब-कब है एकादशी व्रत? जानें तिथि और पूजा विधि
Ekadashi October 2025: अक्टूबर 2025 में एकादशी व्रत कब-कब है? जानें पापांकुशा और रमा एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व। इस पावन दिन भगवान विष्णु की भक्ति कैसे करें, पूरी जानकारी यहां पढ़ें।
Ekadashi October 2025: एकादशी व्रत सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है। हर महीने दो एकादशी आती हैं पहली कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है, जिसमें भक्त उपवास रखते हुए उनकी आराधना करते हैं। (Ekadashi October 2025) अगर आप जानना चाहते हैं कि अक्टूबर 2025 में कब-कब एकादशी व्रत पड़ेंगे और उनका शुभ समय क्या है, तो यह लेख आपके लिए है।
अक्टूबर 2025 में एकादशी व्रत की तिथियां और समय- Ekadashi October 2025
1. पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi 2025)
तिथि प्रारंभ: 2 अक्टूबर 2025, शाम 07:10 बजे
तिथि समाप्त: 3 अक्टूबर 2025, शाम 06:32 बजे
व्रत का दिन: 3 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार)
इस दिन भक्त पापों के नाश के लिए उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।
2. रमा एकादशी (Rama Ekadashi 2025)
तिथि प्रारंभ: 16 अक्टूबर 2025, सुबह 10:35 बजे
तिथि समाप्त: 17 अक्टूबर 2025, सुबह 11:12 बजे
व्रत का दिन: 17 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार)
रमा एकादशी को विष्णु भक्त उपवास रखकर उनकी आराधना करते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
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एकादशी व्रत की पूजा विधि (Ekadashi October 2025 Puja Vidhi)
सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
तुलसी के पत्ते, पीले फूल, फल और मिठाई अर्पित करें।
विष्णु सहस्रनाम और एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
भगवान विष्णु के वैदिक मंत्रों का जाप करें।
आरती करें और पूजा में हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
महत्वपूर्ण: इस दिन चावल का सेवन न करें और तामसिक भोजन से परहेज करें। दूसरों के बारे में बुरा बोलने से बचें।
एकादशी पूजा मंत्र (Ekadashi Puja Mantra)
दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात्||
एकादशी व्रत का महत्व
पापों का नाश: यह व्रत पापों के नाश और पुण्य की वृद्धि करता है।
शरीर व मन का शुद्धिकरण: उपवास से शरीर और मन दोनों को शुद्धि मिलती है।
भगवान विष्णु की आराधना: यह व्रत भगवान विष्णु की विशेष पूजा के लिए समर्पित है।
सफलता और समृद्धि: व्रती के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
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