सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें जेल में बंद नेताओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रचार करने की अनुमति मांगी गई थी। कोर्ट ने कहा केजरीवाल खुद कोर्ट आने में सक्षम।
सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें जेल में बंद नेताओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रचार करने की अनुमति मांगी गई थी। कोर्ट ने कहा कि याचिका दुर्भावनापूर्ण है क्योंकि यह एक राजनेता (अरविंद केजरीवाल) पर केंद्रित है जो खुद कोर्ट पहुंच सकते हैं और कई वकील उनके लिए तैयार हैं। याचिकाकर्ता ने देश की सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि गिरफ्तार किए गए नेताओं को लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार करने की अनुमति दी जाए।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘आप दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर क्यों केंद्रित हैं? आपकी पूरी याचिका एक विशिष्ट राजनीतिक व्यक्ति के बारे में है जो स्वयं न्यायालय में पहुँच सकते हैं। जो खुद सर्वश्रेष्ठ वकीलों के साथ आते हैं। याचिकाकर्ता के वकील सीयू सिंह ने कहा, ‘मेरा मानना है कि मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है और इसे कोर्ट के सामने नहीं उठाया गया है।’
जस्टिस कांत ने कहा कि सवाल दिलचस्प और महत्वपूर्ण है, लेकिन इसकी परीक्षण सही केस में करेंगे। याचिका को कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा, ‘हम इस याचिका पर सुनवाई को जरूरी नहीं मानते जिसे कथित तौर पर जनता के हित में दायर किया गया है।कोर्ट ने कहा कि विचार किया जाता अगर वह ऐसे लोगों के लिए आए होते जो अपनी आवाज नहीं उठा सकते।
गौरतलब है कि 21 मार्च को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग (कथित शराब घोटाले) केस में गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले गिरफ्तारी की सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। उन्हें जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने 21 दिनों की अंतरिम जमानत भी दी थी। 2 जून को केजरीवाल सरेंडर करके फिर से जेल गए।