धर्म

आंवला नवमी 2025: लक्ष्मीजी की कथा और पूजा विधि – घर में नहीं आएगी दरिद्रता, मिलेगा मोक्ष

आंवला नवमी 2025 व्रत कथा और पूजा विधि जानें, लक्ष्मीजी की कृपा से घर में न आएगी दरिद्रता, मिलेगा मोक्ष, आरोग्य, सौभाग्य और दीर्घायु।

आंवला नवमी 2025: आंवला नवमी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और यह कार्तिक शुक्ल नवमी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु आंवले के वृक्ष में निवास करते हैं और वृक्ष की पूजा करना हजार यज्ञों के समान फल देता है। श्रद्धालु इस दिन आरोग्य, संतान सुख, सौभाग्य और दीर्घायु के लिए व्रत करते हैं।

आंवला नवमी 2025 की कथा

पौराणिक मान्यता है कि माता लक्ष्मी एक बार पृथ्वी पर भ्रमण के लिए निकलीं। भ्रमण के दौरान उन्होंने सोचा कि वे भगवान विष्णु और भगवान शिव की एकसाथ पूजा करें, लेकिन यह समझ नहीं पा रही थीं कि यह संभव कैसे हो सकता है। ध्यान करने पर उन्होंने देखा कि आंवले का वृक्ष ऐसा स्थान है जहां तुलसी की पवित्रता और बेल के पावन गुण एक साथ मिलते हैं।

माता लक्ष्मी ने शुद्ध मन और विधि-विधान से आंवले के वृक्ष की पूजा की, जल अर्पित किया और दीपक जलाया। पूजा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और शिव स्वयं प्रकट हुए और देवी लक्ष्मी को आशीर्वाद दिया कि जो श्रद्धा और भक्ति से आंवले के वृक्ष की पूजा करेगा, उसके जीवन में कभी दरिद्रता नहीं आएगी और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी।

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इसके बाद माता लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन अर्पित किया, जिसे भगवान विष्णु और शिव ने प्रसन्न होकर स्वीकार किया। इसी दिन से आंवला नवमी व्रत और पूजा की परंपरा आरंभ हुई।

आंवला नवमी 2025 की पूजा विधि

सुबह स्नान करके पीले वस्त्र पहनें।

आंगन या किसी पवित्र स्थल पर आंवले के वृक्ष को सजाएं।

वृक्ष के चारों ओर जल, हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाएं।

दीपक जलाकर विष्णु जी की आरती करें।

आंवले के वृक्ष की परिक्रमा करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

परिवार सहित वृक्ष के नीचे भोजन ग्रहण करें, जिसे आंवला भोजन कहा जाता है।

आंवला नवमी का महत्व

श्रद्धापूर्वक पूजा और व्रत करने से सभी पाप दूर होते हैं। जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। यह व्रत विशेष रूप से दरिद्रता दूर करने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए माना जाता है।

इस वर्ष, आंवला नवमी 2025, 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। नवमी तिथि की शुरुआत 30 अक्टूबर को सुबह 10:06 बजे हुई और समाप्ति 31 अक्टूबर को सुबह 10:03 बजे होगी। पूजा का शुभ मुहूर्त 31 अक्टूबर को सुबह 6:32 बजे से 10:03 बजे तक रहेगा।

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