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Vaikuntha Chaturdashi 2023 कब है? याद रखें दिन, मुहूर्त और शिव-विष्णु की एकसाथ पूजा का महत्व।

Vaikuntha Chaturdashi 2023 कब है?

Vaikuntha Chaturdashi 2023: कार्तिक में वैकुंठ चतुर्दशी ऐसा दिन है जब विष्णु-शिव की एकसाथ पूजा की जाती है, इससे व्रती को स्वर्ग मिलता है. इस वर्ष वैकुंठ चतुर्दशी की तिथि, मुहूर्त और महत्व जानें।

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को वैकुंठ चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है. हरि-हर मिलन, यानी भगवान शिव और विष्णु की औपचारिक मुलाकात, इस पर्व पर मनाई जाती है।

बैकुंठ चतुर्दशी पर व्रत रखने वाले बैकुंठ धाम पाते हैं। विष्णु और शिव के आशीर्वाद से उनके सभी पाप दूर होते हैं। इस उत्सव को देव दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस वर्ष की बैकुंठ चतुर्दशी की तिथि, मुहूर्त और महत्व जानें।

वैकुंठ चतुर्दशी 2023 डेट (Vaikuntha Chaturdashi 2023 Date)

बैकुंठ चतुर्दशी 25 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी. यह दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की पूजा करने के कारण पवित्र माना जाता है। बैकुंठ चतुर्दशी को वाराणसी, गया और महाराष्ट्र के कई शहरों में भी मनाया जाता है।

वैकुंठ चतुर्दशी 2023 मुहूर्त (Vaikuntha Chaturdashi 2023 Muhurat)

25 नवंबर 2023 को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 05 बजकर 22 मिनट से शुरू होगी। चतुर्दशी तिथि 26 नवंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी। शास्त्रों के अनुसार निशिता काल में बैकुंठ चतुर्दशी पर विष्णु की पूजा की जाती है।

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वैकुण्ठ चतुर्दशी निशिताकाल 25 नवंबर 2023 को रात 11.41 से 26 नवंबर 2023 को सुबह 12.35 तक चलेगा, अवधि 54 मिनट है।

वैकुंठ चतुर्दशी पर बेलपत्र-तुलसी की ये परंपरा निभाई जाती है (Vaikuntha Chaturdashi Tradition)

आमतौर पर एक ही दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की एक साथ पूजा करने का शुभ अवसर बहुत कम होता है, लेकिन वैकुंठ चतुर्दशी वर्ष में सिर्फ एक दिन हरि-हर दोनों की पूजा होती है। इस दिन विष्णु भगवान शिव को तुलसी पत्तियां और बेलपत्र देते हैं।

वैकुंठ चतुर्दशी महत्व (Vaikuntha Chaturdashi Significance)

शिव पुराण के अनुसार, बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव ने विष्णु को सुदर्शन चक्र प्रदान किया था। इस दिन शिव और विष्णु दोनों ही एकाएक रूप में रहते हैं. जो लोग इस दिन एक हजार कमल के फूलों से विष्णु जी की पूजा करते हैं उन्हें स्वर्ग में स्थान मिलता है.

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