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अजा एकादशी 2025: भाद्रपद माह की पहली एकादशी कब और कैसे करें व्रत? जानिए पूरी जानकारी

अजा एकादशी 2025 भाद्रपद माह की पहली एकादशी है, जो 19 अगस्त को मनाई जाएगी। जानिए अजा एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसके लाभ।

अजा एकादशी 2025: भाद्रपद माह की पहली एकादशी, जिसे अजा एकादशी कहा जाता है, इस वर्ष 19 अगस्त 2025 को पड़ रही है। जन्माष्टमी के बाद आने वाली यह एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। अजा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की आराधना के लिए रखा जाता है और इसे करने से समस्त पापों का नाश होता है तथा जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

भाद्रपद माह की पहली एकादशी: अजा एकादशी 2025 तिथि और समय:

  • अजा एकादशी 2025 तिथि प्रारंभ: 18 अगस्त 2025, सुबह 5:22 बजे

  • एकादशी तिथि समाप्त: 19 अगस्त 2025, सुबह 3:32 बजे

  • अजा एकादशी व्रत दिनांक: 19 अगस्त 2025 (मंगलवार)

  • व्रत का पारण: 20 अगस्त 2025, सुबह 5:53 से 8:29 बजे तक

अजा एकादशी का महत्व:

अजा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे करना एक हजार गायों को दान देने के समान फलदायी माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के ऋषिकेश स्वरूप की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही, इस वर्ष अजा एकादशी के दिन शुभ योग वज्र योग का निर्माण हो रहा है और आर्द्रा नक्षत्र भी रहेगा, जो इस व्रत को और भी पवित्र और फलदायी बनाता है।

अजा एकादशी व्रत कैसे करें? (पूजन विधि)

  1. व्रत के दिन साफ-सुथरे वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।

  2. पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।

  3. विष्णु जी को फूल, धूप, दीप, फल आदि अर्पित करें।

  4. विधिवत पूजा-अर्चना करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

  5. अगले दिन शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें।

क्यों है अजा एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण?

भाद्रपद माह की अजा एकादशी को भगवान विष्णु की आराधना का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से न केवल पापों का नाश होता है बल्कि जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है। जन्माष्टमी के बाद पड़ने वाली यह एकादशी धार्मिक दृष्टि से बेहद लाभकारी होती है।

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