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Akshaya Tritiya 2025 Date: अक्षय तृतीया कब है? एक क्लिक में पर्व मनाने की खास वजह पढ़ें

वैदिक पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि पर अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025) का पर्व मनाया जाता है।

Akshaya Tritiya 2025: भक्त इस शुभ दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। अक्षय तृतीया अबूझ मुहूर्त है। इसलिए इस तिथि पर किसी भी समय मांगलिक और शुभ कार्य किए जा सकते हैं।

आखा तीज अक्षय तृतीया का पर्व है। इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya, 2025) पर कुछ भी करने से शुभ फल मिलेगा। इस दिन चांदी और सोना खरीदना शुभ है। माना जाता है कि आज कुछ खास चीजों का दान करने से धन लाभ मिलता है। साथ ही सुख-समृद्धि बढ़ती है। क्या आप अक्षय तृतीया का त्योहार क्यों मनाया जाता है? अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

अक्षय तृतीया 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Akshaya Tritiya 2025 Date and Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल को शाम 05 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और 30 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर खत्म होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय तिथि बहुत महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि इस बार 30 अप्रैल को (Kab Hai Akshaya Tritiya 2025) अक्षय तृतीया मनाई जाएगी। अक्षय तृतीया पर पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह पांच बजे 41 मिनट से दोपहर 12 बजे 18 मिनट तक है। इस दौरान साधक किसी भी समय पूजा कर सकते हैं।

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 15 मिनट से 04 बजकर 58 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त – कोई नहीं

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 24 मिनट तक

सर्वार्थ सिद्धि योग – पूरे दिन

गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 55 मिनट से 07 बजकर 16 मिनट तक

अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्व (Akshaya Tritiya 2025 Significance)

दान करना अक्षय तृतीया का शुभ अवसर है। मान्यता है कि इस दिन दान करने से धन और सुख मिलता है। साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा भी बरसेगी। पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि वैशाख मास की शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि, या अक्षय तृतीया तिथि से सतयुग की शुरुआत हुई थी। मान्यता है कि अक्षय तृतीया से ही वेद व्यास जी ने महाभारत को लिखने की शुरुआत की थी।

इसके अलावा अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ था। भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम माने जाते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भगवान परशुराम ऋषि जमदग्नि और राजकुमारी रेणुका के पुत्र थे। अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती का पर्व भी मनाया जाता है।

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