जन्माष्टमी 2025: लड्डू गोपाल को कितनी देर सुलाना चाहिए? जानें सही नियम और शुभ समय
Laddu Gopal Sleeping Time on Janmashtami: जानिए जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल को कितनी देर सुलाना चाहिए, साथ में सेवा विधि और शुभ समय।
लड्डू गोपाल को कितनी देर सुलाना चाहिए: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे भारत में श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा विशेष विधि-विधान से की जाती है। पूजा, झूला झुलाने, भोग लगाने और व्रत करने के साथ-साथ एक सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है – जन्माष्टमी वाले दिन लड्डू गोपाल को कितनी देर सुलाना चाहिए? इस लेख में हम आपको बताएंगे लड्डू गोपाल को सुलाने का शुभ समय और उससे जुड़ी आवश्यक जानकारी।
लड्डू गोपाल को कितनी देर सुलाना चाहिए?
ज्योतिष और धर्म शास्त्रों के अनुसार, जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को सुलाने का कोई निर्धारित समय नहीं है, लेकिन सामान्यत: रात 8 बजे से 9 बजे के बीच उन्हें विश्राम (सुलाना) देना शुभ माना गया है।
हालांकि, जन्मोत्सव की पूजा विधि के दौरान यानी रात्रि 12 बजे जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, उस समय लड्डू गोपाल को झूले में बिठाकर पर्दा किया जाता है। जैसे ही जन्म का समय आता है, पर्दा हटाकर मंत्रोच्चारण के साथ भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक किया जाता है, उन्हें वस्त्र, आभूषण पहनाए जाते हैं और फिर झूला झुलाया जाता है।
लड्डू गोपाल की सेवा कैसे करें?
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लड्डू गोपाल को स्नान कराने के बाद उन्हें नए वस्त्र और गहनों से सजाएं।
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फिर उन्हें सुंदर झूले में बिठाकर पर्दा करें।
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रात्रि 12 बजे पर्दा हटाकर जन्मोत्सव मनाएं।
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पूजा के बाद भोग लगाएं और फिर व्रत तोड़ें।
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पूजा संपन्न होने के बाद आप उन्हें रात में सुला सकते हैं।
जन्माष्टमी के दिन क्या खरीदना है शुभ?
जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय वस्तुएं घर लाने से जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है।
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मूर्ति: पहली बार व्रत रखने वालों के लिए शुभ।
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मोर पंख: नकारात्मक ऊर्जा दूर करता है।
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कृष्ण वस्त्र और गहने: श्रद्धा से खरीदे गए वस्त्र विशेष फल देते हैं।
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झूला और आसन: भगवान के जन्मोत्सव के लिए अनिवार्य।
Laddu Gopal Sleeping Time on Janmashtami विषय पर स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भाव और भक्ति ही सबसे महत्वपूर्ण हैं। आप सेवा में जितना अधिक मन लगाते हैं, उतनी ही श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। तय समयानुसार सेवा करें, लेकिन अगर समय में थोड़ी बहुत असुविधा हो, तो श्रद्धा और सच्चे मन से किया गया सेवा ही श्रेष्ठ मानी जाती है।
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