ये बरसाती फसल यूरिक एसिड और गाउट के मरीजों के लिए वरदान, ऐसे करें सेवन
यूरिक एसिड बढ़ने पर ये बरसाती फसल खाना फायदेमंद होता है। जानिए मकई कैसे मदद करता है प्यूरिन निकालने में और गाउट से राहत पाने के लिए सही सेवन तरीका।
यूरिक एसिड का बढ़ना आजकल एक आम लेकिन गंभीर समस्या बन गई है। जब शरीर में यूरिक एसिड के क्रिस्टल हड्डियों के जोड़ों में जम जाते हैं, तो गाउट (Gout) नामक दर्दनाक स्थिति होती है, जो चलने-फिरने और उठने-बैठने में परेशानी पैदा करती है। इस बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि शरीर में जमा अतिरिक्त प्यूरिन (Purine) को बाहर निकाला जाए। इसी संदर्भ में मकई (Corn) एक फायदेमंद बरसाती फसल साबित हो सकती है।
मकई के सेवन से यूरिक एसिड पर प्रभाव
मकई में मौजूद प्राकृतिक फाइबर और रफेज (Roughage) प्रोटीन के मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देते हैं, जिससे शरीर में जमा प्यूरिन पचाने में आसानी होती है। मकई एक प्रकार का जेल बनाती है जो प्यूरिन के मॉलिक्यूल्स से चिपक कर उन्हें शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है। इस तरह मकई शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित रखने में सहायक होती है।
मकई में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स का लाभ
मकई में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं, जो यूरिक एसिड को जोड़ों में जमा होने से रोकते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट्स यूरिक एसिड को सही तरीके से प्रोसेस करने में मदद करते हैं, जिससे गाउट और उससे जुड़ी अन्य समस्याओं का खतरा कम होता है।
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मकई का सही सेवन कैसे करें?
यूरिक एसिड की समस्या से बचाव या नियंत्रण के लिए मकई को सही तरीके से खाना जरूरी है। मकई को उबालकर या भूनकर खाना चाहिए ताकि इसके फाइबर और रफेज की गुणवत्ता बनी रहे। ज़्यादा प्रोसेस्ड मकई का सेवन न करें क्योंकि इससे मकई में चीनी (सुक्रोज) की मात्रा बढ़ सकती है, जो प्रोटीन मेटाबॉलिज्म को प्रभावित कर यूरिक एसिड की समस्या बढ़ा सकती है।
मकई से यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के सुझाव
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रोजाना हल्की मात्रा में उबली या भूनी मकई का सेवन करें।
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मकई के साथ ताजे हरे सलाद या नींबू पानी लें ताकि शरीर की विषाक्तता कम हो।
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अधिक तेल या मसालेदार मकई से बचें क्योंकि ये पेट की समस्या बढ़ा सकते हैं।
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गाउट के दौरान पर्याप्त पानी पीना न भूलें ताकि यूरिक एसिड बाहर निकल सके।
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