धर्मभारत

बारह ज्योतिर्लिंगों के समान पावन और सैकड़ों साल पुराने है ,यह चार शिव मंदिर।

मंगलवार, यानी आज 1 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व है। इस दिन शिव के भक्तों का शिव के मंदिरों में जमावड़ा लग जाता है। शिव के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है जिन्हे हम 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम से जानते है इन ज्योतिर्लिंगों का महत्व सबसे अधिक है। ज्योतिर्लिंग अर्थात जहां भगवान शिव प्रकट हुए थे ऐसी मान्यता है कि आज भी शिव इन 12 ज्योतिर्लिंग पर ज्योति स्वरूप में विद्यमान हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इन 12 ज्योतिर्लिंगों के अतिरिक्त भी कई और ऐसे तीर्थ हैं, जिनका इतिहास देखे ti वह सैकड़ों साल पुराना है आपको बता दे इन मंदिरों में भी शिव के भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।

आइए बताते है आपको ऐसे ही कुछ खास मंदिरों के बारे में –

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर–गुजरात में वडोदरा से करीब 85 किमी दूर स्तंभेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर की नीव कार्तिकेय स्वामी ने की थी। इस मंदिर की विशेष बात यह है कि ये दिन में दो बार समुद्र के अंदर डूब जाता है। स्तंभेश्वर महादेव का यह मंदिर अरब सागर के बीच कैम्बे तट पर स्थित है।

ककनमठ मंदिर–मध्य प्रदेश के मुरैना से करीब 30 किमी दूर सिहोनियां नमक नगर में ककनमठ मंदिर विराजित है। इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में कीर्तिराज नाम के रहा ने करवाया था। राजा ने अपनी पत्नी ककनवती के नाम पर ही इस मंदिर का नाम ककनमठ रखा था। आपको बता दे यह मंदिर करीब 115 फीट ऊंचाई पर बना हुआ है। इस मंदिर ने अनेकों युद्ध झेले हैं, इसके बावजूद आज भी इस मंदिर की इमारत मजबूती के साथ अपनी खूबसूरती को बरकरार किए हुए खड़ी है।

कमलेश्वर महादेव मंदिर –  उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में कमलेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यह मंदिर प्रभु श्रीराम से जुड़ा है। पुराणों के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि रावण वध के बाद श्रीराम ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति के लिए इस क्षेत्र में गए थे । इस मंदिर में हजारों कमल के फूलों से शिव भगवान की पूजा की थी। यही कारण है कि इस मंदिर को कमलेश्वर महादेव मंदिर कहा जाता है।

अरुणाचलेश्वर महादेव मंदिर –  तमिलनाडु के तिरुवनमलाई जिले में स्थित है । यहां पर यह मान्यता प्रसिद्ध है कि इसी क्षेत्र में भोलेनाथ ने परब्रह्म जी को झूठ बोलने की वजह से शाप दे दिया था।आपको बता दे अरुणाचलेश्वर मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। ऐसा मान्यता है कि सबसे पहले इस मंदिर का निर्माण लकड़ियों से किया गया था । उसके बाद में समय के साथ गोपुरम बनाए और अन्ततः मंदिर को काफी मजबूत बनाया गया।तमिलनाडु का ये मंदिर  हजारों साल पुराना है,  तमिलनाडु के तिरुवनमलाई जिले में स्थित है ।

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