स्वास्थ्य

World Malaria Day 2025: इन भारत के राज्यों में मलेरिया का सबसे अधिक प्रकोप है आंकड़ों के पीछे की कहानी जानें

World Malaria Day 2025: मलेरिया भारत में अभी भी एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP) के अनुसार, 2023 में मलेरिया के मामलों में काफी कमी आई, लेकिन कुछ राज्य अभी भी मलेरिया से सबसे अधिक प्रभावित हैं।​

World Malaria Day 2025: मलेरिया, कुछ संक्रमित अनोफेलीज (Anopheles) मादा मच्छरों के काटने से लोगों में फैलता है। ये मच्छर प्लॅस्मोडियम वीवेक्स नामक वायरस फैलाते हैं, जो किसी व्यक्ति को काटने के बाद संक्रमित कर देता है, जिसके बाद मलेरिया के लक्षण दिखाई देते हैं। मलेरिया बिना उपचार के गंभीर बीमारी में बदल सकता है और 24 घंटे के भीतर जानलेवा हो सकता है। मलेरिया भारत में अभी भी एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। हालांकि पिछले वर्षों में इसके मामलों में कमी आई है।

लेकिन लोग अभी भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। इसलिए, हर साल 25 अप्रैल को ‘विश्व मलेरिया दिवस’ मनाया जाता है ताकि लोगों को मलेरिया के बारे में अधिक जानकारी मिल सके। राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP) के अनुसार, 2023 में मलेरिया के मामलों में काफी कमी आई, लेकिन कुछ राज्य अभी भी मलेरिया से सबसे अधिक प्रभावित हैं।हालाँकि, आज़ादी के समय से देश में मलेरिया के मामले में अब तक 97 प्रतिशत से अधिक कमी आई है।

मलेरिया से सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से एक:

2023 के आंकड़ों के अनुसार, मलेरिया ने निम्नलिखित राज्यों को सबसे अधिक प्रभावित किया:

छत्तीसगढ़: मलेरिया के मामलों में यह राज्य देश में सर्वश्रेष्ठ है। यहां की घनी वनस्पति और आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सीमित होने के कारण मलेरिया का प्रकोप अधिक है।​

ओडिशा: ओडिशा में भी मलेरिया के मामले अधिक हैं, खासकर आदिवासी बहुल इलाकों में। मलेरिया मुक्त अभियान को राज्य सरकार ने चलाया है, लेकिन चुनौतियां बनी हुई हैं।​

झारखण्ड: झारखंड में दूरदराज के क्षेत्रों में मलेरिया की दर अधिक है। इसके दो प्रमुख कारण हैं: स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुंच और जागरूकता की कमी।​

मध्य प्रदेश: यहां के कुछ जिलों में मलेरिया के मामले अधिक हैं, खासकर आदिवासी क्षेत्रों में।​

गुजरात: गुजरात सरकार ने भी मलेरिया को नियंत्रित करने की कोशिश की है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में भी मामले सामने आए हैं।​

आंकड़े बताते हैं पीछे की कहानी:

भौगोलिक और पर्यावरणीय कारक: मलेरिया के मामले अधिक होते हैं जिन राज्यों में घने जंगल, नदियां और आदिवासी लोग रहते हैं। ये स्थान मच्छरों के प्रजनन के लिए उपयुक्त हैं।स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुंच के कारण दूरदराज के क्षेत्रों में मलेरिया के मामलों की पहचान और उपचार में देरी होती है।मलेरिया के लक्षणों और रोकथाम के उपायों के बारे में कुछ क्षेत्रों में लोगों की जागरूकता कम है, जिससे बीमारी फैलती है।​

डॉक्टर क्या कहते हैं?

डॉ. सुनील राणा, एसोसिएट डायरेक्टर और हेड-इंटरननल मेडिसिन, एशियन हॉस्पिटल, ने बताया कि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में मलेरिया को नियंत्रित करने में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। एक बड़ी सफलता है कि मलेरिया के केस और मौतों में कमी आई है। अब ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाई जाए और सभी को मच्छरदानी और समय पर इलाज मिलना चाहिए। सतर्कता जरूरी है। मच्छर नियंत्रण, साफ-सफाई और बुखार होने पर तुरंत जांच, ये तीन बातें अगर हर व्यक्ति अपनाए, तो हम मलेरिया को पूरी तरह खत्म कर सकते हैं।”

WHO के अनुसार, किसे सबसे अधिक खतरा है:

5 साल से कम उम्र के बच्चे

महिलाएं और किशोरियां

आदिवासी और ग्रामीण इलाकों के लोग

प्रवासी कर्मचामजदूररी

दिव्यांग जन

लोग जो बहुत दूर-दराज रहते हैं और स्वास्थ्य सेवाओं को आसानी से नहीं मिलता इन लोगों की जान खतरे में हो सकती है अगर समय पर जांच और इलाज नहीं किया जाता है।

बचाव के साधनों तक बराबरी की पहुंच जरूरी:

WHO के अनुसार, 2000 से अब तक मलेरिया के करीब 2.2 अरब मामलों और 1.27 करोड़ मौतों को रोका जा चुका है, लेकिन फिर भी यह बीमारी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। वर्ष 2023 में अनुमानित 26.3 करोड़ मलेरिया के मामले सामने आए, जिनमें लगभग 5.97 लाख लोगों की मौत हुई। यह संख्या 2022 के मुकाबले 1.1 करोड़ ज्यादा मामले और लगभग उतनी ही मौतें दर्शाती है। इनमें से लगभग 95 फीसदी मौतें अफ्रीका के देशों में हुईं, जहां आज भी कई लोगों को मलेरिया से बचने या इलाज कराने के लिए ज़रूरी साधन नहीं मिल पाते है।

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