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लैंड पूलिंग नीति 2025 में भगवंत मान कैबिनेट ने संशोधन को मंजूरी दी, किसानों के लिए बड़ा ऐलान

पंजाब कैबिनेट ने लैंड पूलिंग नीति 2025 में महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं, जिनमें किसानों को विकास तक वार्षिक ₹1 लाख भत्ता और कमर्शियल जगह ना लेने पर तीन गुना अधिक रिहायशी जमीन देने की सुविधा शामिल है।

पंजाब सरकार ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में लैंड पूलिंग नीति 2025 में महत्वपूर्ण संशोधनों को मंजूरी दी है। इस संशोधित लैंड पूलिंग नीति 2025 का उद्देश्य किसानों को अधिक लाभ प्रदान करना और भूमि विकास प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाना है। कैबिनेट की बैठक के बाद सीएम भगवंत मान ने संशोधनों का विस्तार से परिचय कराया और विपक्ष द्वारा फैलाई जा रही गलतफहमियों को पूरी तरह से खारिज किया।

किसानों को मिलेगा बेहतर लाभ और अधिक रिहायशी जमीन- लैंड पूलिंग नीति 2025

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने स्पष्ट किया कि यदि कोई जमीन का मालिक कमर्शियल ज़मीन लेने से इंकार करता है, तो उसे इसके बदले तीन गुना अधिक रिहायशी ज़मीन का विकल्प दिया जाएगा। यह नीति किसानों के हित को ध्यान में रखकर बनाई गई है ताकि वे अधिक सुविधाजनक और बेहतर जीवन स्तर का अनुभव कर सकें। इसके साथ ही, “Letter of Intent” (एलओआई) मिलने के बाद भी किसान अपनी जमीन पर लोन लेने में सक्षम होंगे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

खेती जारी रखने का अधिकार और वार्षिक भत्ता

सीएम भगवंत मान ने यह भी बताया कि विकास कार्य शुरू होने तक किसान अपनी ज़मीन पर खेती जारी रख सकते हैं और खेती से प्राप्त आय पूरी तरह से उनकी होगी। साथ ही, किसानों को प्रति एकड़ ₹50,000 वार्षिक आजीविका भत्ता दिया जाएगा, जो विकास शुरू होने पर बढ़कर ₹1 लाख प्रति एकड़ सालाना हो जाएगा। इस राशि में विकास के दौरान 10% वार्षिक वृद्धि भी शामिल होगी, जिससे किसानों को दीर्घकालिक आर्थिक सुरक्षा मिलेगी।

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विपक्ष की अफवाहों का खंडन

कैबिनेट बैठक के बाद सीएम मान ने कहा कि लैंड पूलिंग नीति 2025 को लेकर विपक्षी दलों द्वारा फैलाई गई अफवाहें निराधार हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस नीति के तहत भूमि की रजिस्ट्री पर कोई रोक नहीं लगेगी और सभी प्रक्रियाएं पारदर्शी तरीके से आगे बढ़ेंगी। उन्होंने कहा, “जो कहा जा रहा है कि नोटिफिकेशन जारी होने के बाद रजिस्ट्री रुक जाएगी, वह पूरी तरह से गलत और भ्रमित करने वाला है।”

पंजाब की भूमि उपयोग नीति में प्रगति

भगवंत मान ने यह भी उल्लेख किया कि पंजाब में हरियाणा की तुलना में कम भूमि कॉलोनियों के लिए आरक्षित है। हरियाणा में लगभग 48 हजार एकड़ ज़मीन कॉलोनियों के लिए उपयोग में है, जबकि पंजाब में यह केवल 25 हजार एकड़ है। इसके बावजूद, हरियाणा में अवैध कॉलोनियों की संख्या शून्य है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार किसान परिवारों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है और इस दिशा में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी।

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