धर्म

नवरात्रि में हरे-भरे जौ उगाने का आसान और सही तरीका, माता रानी की बरसेगी विशेष कृपा

नवरात्रि में हरे-भरे जौ उगाने का आसान तरीका। जानिए जौ बोने के सही नियम और विधि, जिससे माता रानी की कृपा और घर में समृद्धि बढ़ेगी।

नवरात्रि के पावन अवसर पर हरे-भरे जौ उगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि में कलश स्थापना के साथ जौ बोना घर में समृद्धि, धन-धान्य और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। अगर आप भी चाहते हैं कि इस नवरात्रि आपके द्वारा बोए गए जौ हरे-भरे और तंदुरुस्त उगें, तो जानिए जौ बोने का सही तरीका और उससे जुड़ी महत्वपूर्ण टिप्स।

नवरात्रि में हरा-भरा जौ बोने की धार्मिक महत्ता

नवरात्रि के पहले दिन, जब माता रानी के कलश की स्थापना होती है, उसी समय कलश के नीचे जौ बोने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि जितना अधिक हरे-भरे जौ उगता है, उतनी ही अधिक घर में खुशहाली और उन्नति आती है। इसलिए हर भक्त इस काम में खास सावधानी बरतते हैं ताकि जौ पूरी तरह से अंकुरित हो और माता रानी की विशेष कृपा बनी रहे।

नवरात्रि में हरे-भरे जौ बोने का सही तरीका – आसान स्टेप्स

सामग्री की जरूरत:

अच्छी क्वालिटी के जौ के बीज

साफ मिट्टी

चौकोर या गोल पात्र

गंगाजल या शुद्ध पानी

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चरणवार विधि:

सबसे पहले हरे-भरे जौ के बीजों को रातभर पानी में भिगोकर रखें। यदि आप रात में भिगो न सकें, तो सुबह भोर में जौ बो दें।

नवरात्रि के पहले दिन पूजा स्थल को पूरी तरह साफ करें।

विधि विधान के साथ कलश स्थापना करें।

अब एक साफ पात्र में मिट्टी डालें और हल्का दबाव दें ताकि मिट्टी अच्छी तरह सेट हो जाए।

मिट्टी की सतह पर जौ के दानों को समान रूप से छिड़कें।

ऊपर से थोड़ी मिट्टी डालें और हल्के हाथ से दबाएं।

अब गंगाजल या शुद्ध पानी की बौछार करें, जिससे बीज अंकुरित होने लगे।

नवरात्रि के हर दिन जौ में थोड़ा-थोड़ा पानी छिड़कते रहें, पर ध्यान रखें कि पानी ज्यादा न हो ताकि जौ सड़ न जाए।

नवमी या दशमी तक आपका जौ हरे-भरे और स्वस्थ उग आएगा।

नवरात्रि समाप्ति पर जौ का सही विसर्जन

नवरात्रि के अंत में उगे हुए जौ को धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नदी, तालाब या किसी जल स्रोत में विसर्जित कर देना चाहिए। इसके अलावा, आप इन्हें पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे भी रख सकते हैं, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो।

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