पंजाब सरकार के उच्च शिक्षा एवं भाषा विभाग ने राज्य के सभी सरकारी और अर्ध-सरकारी कार्यालयों में पंजाबी भाषा के उपयोग को अनिवार्य करने के लिए नए आदेश जारी किए हैं। यह कदम राजभाषा अधिनियम 1967 और उसके संशोधन 2008 के पालन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
पंजाबी भाषा को लेकर कड़ा आदेश
जिला भाषा अधिकारी मंजीत पुरी ने बताया कि अब पंजाब सरकार के सभी विभागों, बोर्डों, निगमों और शैक्षणिक संस्थानों के कार्यालयों में सभी आधिकारिक कार्य पंजाबी भाषा में किए जाएंगे। इसके साथ ही, सभी सरकारी वेबसाइटों को भी अंग्रेजी के साथ-साथ पंजाबी भाषा में उपलब्ध कराया जाएगा। इससे न केवल पंजाबी भाषा को बढ़ावा मिलेगा बल्कि जनता को सरकारी सूचनाओं तक आसान पहुँच भी सुनिश्चित होगी।
पंजाबियत का सम्मान और पहचान
मंजीत पुरी ने कहा, “पंजाबी मातृभाषा पंजाब की जान और आत्मा है, और यह पंजाबियत का गौरव है। इसलिए, हम चाहते हैं कि सभी विभाग और संस्थान इस भाषा के सही और प्रभावी उपयोग को लेकर पूरी सावधानी बरतें।” उन्होंने आगे कहा कि प्रत्येक कार्यालय में लगे साइनबोर्ड, सड़क किनारे बोर्ड और सरकारी दस्तावेजों में पंजाबी भाषा की वर्तनी सही होनी चाहिए।
निरीक्षण और सुधार की जिम्मेदारी
जिला भाषा अधिकारी ने यह भी अपील की है कि संबंधित अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में जाकर इस आदेश का पालन सुनिश्चित करें। अगर कहीं भी भाषा संबंधी कोई कमी या त्रुटि पाई जाती है तो उसे तुरंत सुधारना अनिवार्य होगा। इस आदेश का उल्लंघन प्रशासनिक स्तर पर गंभीर माना जाएगा।
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भाषा का विकास और संवर्द्धन
यह आदेश पंजाब सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें राज्य की सांस्कृतिक और भाषाई विरासत को संजोने और बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है। भाषा का आधिकारिक और प्रभावी उपयोग न केवल सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाएगा, बल्कि आम जनता के लिए भी सरकारी सेवाओं को सुगम बनाएगा।
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