दिल्ली के लिए 30 साल का ड्रेनेज मास्टर प्लान लॉन्च, 57,000 करोड़ रुपये की योजना से जलभराव रोकने का दावा। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर सुधार करेंगी जल निकासी।
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को दिल्ली के लिए तैयार किए गए ड्रेनेज मास्टर प्लान की शुरुआत की। यह योजना अगले 30 वर्षों के लिए दिल्ली की जल निकासी आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से बनाई गई है। तेजी से बढ़ते शहरीकरण और बार-बार हो रहे जलभराव की समस्या को देखते हुए इस मास्टर प्लान में शहर को तीन बड़े बेसिनों में बांटा गया है: नजफगढ़ बेसिन, बारापुला बेसिन और ट्रांस-यमुना बेसिन।
ड्रेनेज नेटवर्क को पुनः डिजाइन करने के लिए विशेषज्ञ सलाहकार नियुक्त किए गए हैं, और इस योजना की अनुमानित लागत 57,000 करोड़ रुपये आंकी गई है। केंद्रीय मंत्री खट्टर ने कहा कि केंद्र सरकार इस योजना को लागू करने में राज्य सरकार की हर संभव मदद करेगी।
ड्रेनेज मास्टर प्लान: जलभराव से निजात का भरोसा
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस योजना पर अपनी सरकार का भरोसा जताते हुए कहा कि केंद्र सरकार वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। उन्होंने बताया कि उनकी टीम ने अपनी सरकार की शुरुआत ही नालों और जलभराव वाले पुराने इलाकों के दौरे से की थी। रेखा गुप्ता ने पूर्व सरकारों पर आरोप लगाया कि उन्होंने सीवर और जल निकासी की गंभीर समस्याओं को अनदेखा किया और केवल लोकलुभावन वादे किए।
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उन्होंने कहा, “हम एसी कमरों से काम नहीं करते, हम जमीन पर उतर कर समस्याओं का समाधान ढूंढते हैं।”
भाजपा नेता प्रवेश वर्मा ने बताया ‘जलभराव रोकने का गारंटी कार्ड’
भाजपा नेता प्रवेश वर्मा ने कहा कि सरकार ने जलभराव की समस्या को लेकर पूरी गंभीरता दिखाई है। उन्होंने मिंटो ब्रिज अंडरपास में हुए सुधार को इसका उदाहरण बताया। वर्मा ने स्पष्ट किया कि ड्रेनेज मास्टर प्लान दिल्ली में जलभराव न होने का गारंटी कार्ड है।
उन्होंने कहा, “अब से दिल्ली में जल निकासी से जुड़े सभी कार्य इस मास्टर प्लान के आधार पर होंगे।”
वर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “पिछली सरकार ने कोई ठोस अध्ययन नहीं कराया। वे सिर्फ दिखावे और अपनी सुविधाओं में लगे थे।”
जलभराव से निपटने के लिए योजनाबद्ध रणनीति
ड्रेनेज मास्टर प्लान के तहत, दिल्ली में जल निकासी को व्यवस्थित और आधुनिक तकनीकों से बेहतर बनाने पर जोर दिया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत पुराने नालों की सफाई, नए ड्रेनेज नेटवर्क का निर्माण, और बारिश के पानी के जलभराव को रोकने के लिए प्रभावी उपाय शामिल हैं।
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