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Mahalaxmi Vrat 2025: कब है महालक्ष्मी व्रत? जानें तारीख, पूजा विधि और इसका धार्मिक महत्व

Mahalaxmi Vrat 2025 Date: जानें 16 दिन चलने वाले महालक्ष्मी व्रत का समापन कब होगा, उद्यापन की विधि, मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का तरीका और इस व्रत से मिलने वाले विशेष लाभ।

Mahalaxmi Vrat 2025 Date: हिंदू धर्म में महालक्ष्मी व्रत एक विशेष और पूजनीय पर्व माना जाता है। यह व्रत 16 दिनों तक चलता है और इसे विशेष रूप से धन, सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। साल 2025 में महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन 14 सितंबर, रविवार को किया जाएगा।

यह व्रत भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से शुरू होकर आश्विन कृष्ण अष्टमी तक चलता है। इसे गजलक्ष्मी व्रत भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन गज पर विराजित मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है।

Mahalaxmi Vrat 2025 की तिथि व समय

व्रत आरंभ: 30 अगस्त 2025 (शनिवार) – भाद्रपद शुक्ल अष्टमी

व्रत समाप्ति (उद्यापन): 14 सितंबर 2025 (रविवार) – आश्विन कृष्ण अष्टमी

महालक्ष्मी व्रत का महत्व

इस व्रत को करने से मां लक्ष्मी की कृपा, धन, वैभव और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

व्रत के दौरान मां लक्ष्मी की प्रतिदिन विधिपूर्वक पूजा की जाती है।

यह व्रत विशेष रूप से पितृपक्ष के दौरान आता है, जिससे इसका धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है।

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कैसे करें महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन?

महालक्ष्मी व्रत के अंतिम दिन उद्यापन करना अत्यंत आवश्यक होता है। उद्यापन विधि इस प्रकार है:

सुबह स्नान कर साफ वस्त्र पहनें और पूजा स्थान पर दीपक जलाएं।

मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र की विधिवत पूजा करें।

16 दिन पूजा में बांधा गया सोलह गांठों वाला धागा, मां लक्ष्मी के चरणों में अर्पित करें।

मां का प्रिय भोग जैसे मालपुआ बनाएं और अर्पित करें।

सुहागिन महिलाओं को भोजन कराएं और उन्हें श्रृंगार सामग्री (चूड़ी, बिंदी, सिंदूर आदि) भेंट करें।

दान-दक्षिणा करें और अंत में स्वयं भी वह धागा पुनः हाथ में बांध लें।

 मां लक्ष्मी का प्रिय भोग – मालपुआ

महालक्ष्मी व्रत के दौरान मां लक्ष्मी को मालपुआ का भोग विशेष रूप से अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि यह भोग मां को अत्यंत प्रिय है और इसे चढ़ाने से मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न होती हैं और मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

 गजलक्ष्मी व्रत: एक विशेष स्वरूप

इस व्रत को गजलक्ष्मी व्रत भी कहा जाता है क्योंकि इसमें हाथी पर विराजमान लक्ष्मी माता की पूजा होती है। यह स्वरूप ऐश्वर्य, वैभव और धन वर्षा का प्रतीक माना जाता है।

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