राज्यपंजाब

पंजाब में विशेष स्वास्थ्य अभियान से राहत: बाढ़ प्रभावित 2303 गांवों में 2.47 लाख लोगों का इलाज, मलेरिया के सिर्फ 5 केस

पंजाब में विशेष स्वास्थ्य अभियान के तहत 2303 बाढ़ प्रभावित गांवों में 2.47 लाख मरीजों का इलाज, मलेरिया के केवल 5 केस, 2.27 लाख स्वास्थ्य किट वितरित।

पंजाब सरकार द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चलाए जा रहे विशेष स्वास्थ्य अभियान के पहले सप्ताह के आंकड़े सामने आ गए हैं, जो इस राहत कार्य की व्यापकता और सफलता को दर्शाते हैं। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने बताया कि अभियान के तहत अब तक 2,303 गांवों में स्वास्थ्य शिविर लगाए गए और 2.47 लाख से अधिक मरीजों को OPD परामर्श दिया गया।

बुखार, दस्त और त्वचा संक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण

बाढ़ के बाद पानी से फैलने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन इस बार सरकार की तैयारी ने हालात को बिगड़ने नहीं दिया। अब तक 31,717 बुखार के केस, 7,832 दस्त के केस, 36,119 त्वचा संक्रमण और 16,884 आंखों की बीमारी के मामलों का त्वरित इलाज किया गया है। यह दर्शाता है कि स्वास्थ्य विभाग ने प्राथमिक स्तर पर ही बीमारियों को रोकने में सफलता हासिल की है।

मलेरिया के सिर्फ 5 केस, 7 लाख घरों में जांच

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि मलेरिया जैसी संक्रामक बीमारी के फैलने की आशंका थी, लेकिन 20,000 से अधिक आशा वर्करों ने 7 लाख घरों में घर-घर जाकर स्वास्थ्य जांच की। इसके बावजूद अब तक केवल 5 मलेरिया के केस ही सामने आए हैं, जो सरकार की रोकथाम रणनीति की सफलता को दर्शाते हैं।

2.27 लाख स्वास्थ्य किटें वितरित

स्वास्थ्य विभाग ने इस दौरान 2.27 लाख आवश्यक स्वास्थ्य किटों का वितरण भी किया है। इन किटों में बुनियादी दवाइयाँ, ORS, सैनिटाइज़र, मास्क और अन्य ज़रूरी स्वास्थ्य सामग्री शामिल थी। इन किटों ने लोगों को घर पर ही प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पाने में मदद की।

also read: पंजाब सरकार का “मिशन चढ़दी कला” बनेगा बाढ़ पीड़ितों के लिए…

वेक्टर कंट्रोल और फ्यूमिगेशन से संक्रमण पर रोक

बाढ़ के बाद मच्छरजनित बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसके लिए पंजाब सरकार ने विशेष वेक्टर नियंत्रण अभियान चलाया। इस अभियान के तहत 6.22 लाख घरों में मच्छरों के प्रजनन स्थलों की पहचान की गई, जबकि 11,582 घरों में प्रजनन स्थलों को नष्ट किया गया। इसके अलावा 1.43 लाख घरों पर लार्वीसाइड का छिड़काव किया गया और सभी बाढ़ प्रभावित गांवों में फ्यूमिगेशन (धुंआ छोड़ने की प्रक्रिया) की गई।

त्रि-स्तरीय रणनीति ने किया काम

डॉ. बलबीर सिंह ने बताया कि सरकार ने बाढ़ के तुरंत बाद त्रि-स्तरीय रोकथाम रणनीति अपनाई, जिसमें रोकथाम, निगरानी और उपचार तीनों पहलुओं पर एकसाथ काम किया गया। इसमें सरकारी डॉक्टरों, नव नियुक्त मेडिकल अधिकारियों, आयुर्वेदिक चिकित्सकों, निजी वॉलंटियर्स और MBBS इंटर्न्स की भी अहम भूमिका रही।

मुख्यमंत्री भगवंत मान की निगरानी में हो रहा अभियान

यह अभियान पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में 14 सितंबर से शुरू हुआ। मुख्यमंत्री ने सभी विभागों को निर्देश दिए कि वे बाढ़ प्रभावित गांवों में तुरंत राहत पहुंचाएं और स्वास्थ्य सेवाएं बिना किसी देरी के मुहैया कराएं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह अभियान भविष्य में स्वास्थ्य संकटों से निपटने के लिए एक मॉडल योजना के रूप में कार्य कर सकता है।

एक सफल और समयबद्ध स्वास्थ्य पहल

पंजाब का यह विशेष स्वास्थ्य अभियान एक सकारात्मक और प्रभावशाली उदाहरण बनकर सामने आया है कि किस तरह सरकार और स्वास्थ्य विभाग मिलकर बड़े संकट के समय भी लोगों तक समय पर राहत पहुंचा सकते हैं। बेहद कम मलेरिया केस और व्यवस्थित उपचार सेवाएं इस बात का प्रमाण हैं कि राज्य की पूर्व-योजनाएं और ज़मीनी कार्यवाहियां पूरी तरह सफल रहीं।

For English News: http://newz24india.in

Visit WhatsApp Channel: https://whatsapp.com/channel/0029Vb4ZuKSLSmbVWNb1sx1x

Related Articles

Back to top button