धर्म

7 से 13 February 2022 तक है रथ सप्तमी, जया एकादशी और भीष्म द्वादशी व्रत, इन व्रतों के करने से होगी सभी राशी वालों की मनोकामना पूरी

इस समय माघ का महीना चल रहा है माघ महीने शुक्ल पक्ष यानी अगले सप्ताह 16 फरवरी को समाप्त हो जाएगा और उसके अगले दिन यानी 17 फरवरी को फाल्गुन का कृष्ण पक्ष शुरू हो जाएगा।
इस सप्ताह में रथ आरोग्य सप्तमी ,पुत्र सप्तमी, भीमाष्टमी व्रत,दुर्गाष्टमी, जया एकादशी व्रत, और भीष्म द्वादशी व्रत का त्यौहार मनाया जायेगा ।
अचला सप्तमी–7 फरवरी सोमवार
माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन अचला सप्तमी मनाई जाती है पुराने समय में इस दिन का बेहद महत्व होता था लेकिन आजकल लोग इसे उतना महत्व नहीं देते हैं इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और भगवान शिव की पूजा करती हैं ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं को सुख समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है इस दिन सबसे पहले प्रातःकाल उठकर स्नान करना चाहिए उसके बाद विधि विधान से सूर्य देव की पूजा अर्चना करनी चाहिए इसके बाद सूर्य देव की आरती करनी चाहिए तथा मान्यता है कि इस दिन केवल एक बार ही भोजन करें। ऐसे करने से व्रत संपूर्ण माना जाता है।

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भीमाष्टमी–8 फरवरी मंगलवार
माघ महीने में शुक्ल अष्टमी वाले दिन ही भीमाष्टमी का व्रत किया जाता है पुराणों के मुताबिक इस दिन कुरुक्षेत्र के युद्ध में सरसैया पर घायल पड़े गंगापुत्र भीष्म ने मृत्यु का वरण किया था और इसीलिए इस तिथि को भी भीमाष्टमी का नाम दिया गया था शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन किया गया व्रत , दान और तर्पण विशेष अभीष्ट सिद्धि प्रदान करता है पुराणों में भी भीमाष्टामी को भीम के श्राद्ध और तर्पण को आवश्यक रूप से करणी बताया गया है ऐसा माना जाता है कि इस दिन तिल के साथ किए गए तर्पण से व्यक्ति को भीष्म जैसी योग्य संतान की प्राप्ति होती है।

दुर्गाष्टमी–8 फरवरी मंगलवार
माघ महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि वाले दिन देवी दुर्गा अष्टमी का व्रत किया जाता है मुख्य तौर पर दुर्गा अष्टमी का आयोजन शारदीय नवरात्रि में होता है लेकिन प्रत्येक महीने में आने वाली अष्टमी को मासिक दुर्गा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है इस दिन मां दुर्गा को चने ,पूरी और हलवे का भोग भी लगाया जाता है ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो भी व्रत रखता है उसे अनंत फलों की प्राप्ति होती है।

जया एकादशी –12 फरवरी शनिवार
माघ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो भारतीय संस्कृति में सभी 24 एकादशी को अमोघ फल देने वाला एकादशी माना जाता है लेकिन जया एकादशी को विशेष रूप से प्रभावी माना गया है ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से कभी भी भूत पिशाच आदि बुरी योनि व्यक्ति को नहीं प्राप्त होती है साथ ही इस दिन जो भी इस एकादशी का व्रत करता है उसकी दुख, दरिद्रता दूर हो जाती है इस दिन विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए अन्य त्याग करके केवल फलाहार कर के ही इस व्रत को पूर्ण करना चाहिए। ऐसा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है।

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भीष्म एकादशी– 12 फरवरी शनिवार
माघ महीने के शुक्ल पक्ष को एकादशी का व्रत रखा जाता है यह त्यौहार मुख्य रूप से दक्षिण भारत के राज्य में मनाया जाता है उत्तर भारत में यह व्रत शांतनु और गंगा के पुत्र भीष्म के लिया मनाया जाता है।

भीष्म द्वादशी–(13 फरवरी,रविवार)
माघ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दूसरे दिन ही भीष्म द्वादशी मनाई जाती है इस द्वादशी को गोविंद द्वादशी के नाम से भी जानते हैं ऐसा कहा गया है कि इस दिन यदि कोई व्रत रखता है तो उसके प्रभाव से व्यक्ति अपनी सभी बीमारियों से निजात पा लेता है साथ ही इस व्रत को रखने से संतान की भी प्राप्ति होती है भीष्म द्वादशी के दिन भगवान श्री नारायण की पूजा आराधना करनी चाहिए।

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