वर्तमान रणनीति में स्मृति ईरानी की जीत के तीन प्रमुख कारक, जो कांग्रेस को गिरा दिया?
स्मृति ईरानी की जीत के तीन प्रमुख कारक
स्मृति ईरानी: दूसरे चरण की वोटिंग के बाद सबका ध्यान अमेठी सीट पर रहेगा क्योंकि कांग्रेस ने वोटिंग के बाद उम्मीदवार का नाम घोषित करने की घोषणा की है।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान अमेठी सीट सबसे अधिक चर्चा का विषय बनी हुई है। बीजेपी ने वर्तमान सांसद और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को इस पद पर उम्मीदवार बनाया है। लेकिन कांग्रेस ने अभी तक इंडिया गठबंधन के तहत अपने उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया है। कांग्रेस और गांधी परिवार इस सीट पर काबिज हैं, लेकिन राहुल गांधी 2019 के चुनाव में हार गए। सोमवार को स्मृति ईरानी इस चुनाव में नामांकन करेंगे। आइए पहले 2019 के समीकरण और बीजेपी इस सीट पर इस बार क्या रणनीति अपनाने जा रहा है।
कांग्रेस और राहुल गांधी की अमेठी चुनाव में हार आज भी चर्चा में हैं। राहुल गांधी की पराजय के बाद से अब तक कई तरह की बहसें चल रही हैं। 2014 में स्मृति ईरानी की पराजय से लेकर 2019 में राहुल गांधी की पराजय के बीच तीन महत्वपूर्ण मुद्दे थे। सिंपैथी का सबसे बड़ा मुद्दा था। 2014 में पार्टी की हार के बाद स्मृति ईरानी ने लगातार क्षेत्र में हिस्सा लिया और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उनका पूरा साथ दिया। 2014 की हार के बाद बीजेपी और स्मृति ईरानी ने अमेठी में एक्टिव रहने का पूरा फायदा उठाया।
राहुल गांधी की हार के बाद ऐसा नहीं दिखाई देता है। भारत जोड़ो न्याय यात्रा के पिछले पांच वर्षों में, राहुल गांधी शायद ही कभी अमेठी गए होते। कांग्रेस नेता कहते हैं कि राहुल गांधी ने 2020 से 2022 के दौरान कोविड काल में अमेठी की जनता को कई बार मदद की। माना जाता है कि राहुल ने मास्क, सैनेटाइजेशन, राशन और आर्थिक सहायता की मांग की। दूसरा महत्वपूर्ण कारक था दोनों नेताओं के बीच सीधा संघर्ष।
राहुल गांधी के खिलाफ बिखरा विपक्षी वोट
कुमार विश्वास 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी से अमेठी से उम्मीदवार थे। तब कांग्रेस के उम्मीदवार राहुल गांधी ने लगभग एक लाख वोटों से जीत हासिल की। उन्हें लगभग 4.08 लाख वोट मिले, जबकि बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी को लगभग 3 लाख वोट मिले।
बीएसपी के उम्मीदवार धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने 57,716 वोट प्राप्त किए, जबकि कुमार विश्वास ने 25,227 वोट प्राप्त किए। बीएसपी और सपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन बनाया। अमेठी में गठबंधन ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था। इस बार भी आम आदमी पार्टी ने अमेठी में कोई उम्मीदवार नहीं उतारा। कांग्रेस और बीजेपी इसलिए सीधा मुकाबला करते थे।
साल 2019 में हुआ था सीधा मुकाबला
2019 के चुनाव में राहुल गांधी और स्मृति ईरानी सीधी टक्कर में थे। तब स्मृति ईरानी के वोटों में पहले से कहीं अधिक बढ़ोतरी हुई, जबकि राहुल गांधी को लगभग 4.13 लाख वोट मिले। इस बार स्मृति ईरानी लगभग 4.68 लाख वोटों से जीती थी और लगभग 55 हजार वोटों के अंतर से जीती थी।
इसके अलावा, पिछले चुनाव में राहुल गांधी ने वायनाड से भी चुनाव लड़ा था। बीजेपी ने इसे उनके खिलाफ व्यापक रूप से उठाया, जबकि कांग्रेस पूरी तरह से राहुल गांधी के दो स्थानों पर चुनाव लड़ने पर केंद्रित थी। बीजेपी ने वायनाड में राहुल गांधी की चुनाव लड़ने की वजह को यह बताने में सफल रही है कि उन्हें यहां हार का डर है।
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रोचक होगी सियासी जंग
बीते कई महीने से अमेठी में रहने वाली स्मृति ईरानी को फिर से बीजेपी ने इस पद पर उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार को अभी तक घोषित नहीं किया है। लेकिन कांग्रेस कार्यालय की तैयारी के अनुसार, दूसरे चरण की वोटिंग के बाद राहुल गांधी का नाम घोषित हो सकता है। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि वह मई में नामांकन करेगा।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस और बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में क्या करेंगे। इस बार सपा और बसपा का एकीकरण नहीं है, इसलिए 4 जून को ही पता चलेगा कि बसपा अगर अपना उम्मीदवार उतारेगी तो वह किसके लिए संकट पैदा करेगी।
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