
Udaipur
Udaipur में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस जैसी स्थानीय पार्टियां अपने प्रत्याशियों को चुनाव में उतारने पर विचार कर रही हैं। लेकिन कई प्रत्याशी बिना किसी पार्टी के बैनर के चुनाव में उतरते हैं। इस प्रकार प्रत्याशियों की संख्या बढ़ जाती है।
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ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि यह प्रत्याशी अन्य महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों को धक्का देता है। Udaipur में भी प्रत्याशियों का चौंकाने वाला आंकड़ा है। जब हम उदयपुर की आठ सीटों पर हुए पिछले चुनाव की बात करते हैं, तो क्षेत्र में ऐसे 141 प्रत्याशी उतरे जो अपनी जीत भी नहीं बचा पाए।
बड़ी पार्टियों को परेशान करने के लिए उतरते हैं
राजनीतिज्ञों का कहना है कि चुनावी मैदान में कई प्रत्याशी उतरते हैं। यह भी बड़ी पार्टियों का गणित खराब करता है। पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर कुछ लोग बागी होकर चुनाव लड़ते हैं, और कुछ लोग समाज में किसी पार्टी के लिए एक तरफा वोट देने वाले लोगों की गणित को बिगाड़ देते हैं। शेष लोग टिकट निकाल भी लेते हैं, लेकिन बहुत से लोग जमानत भी नहीं बचा पाते। यह आंकड़ा उदयपुर की आठ विधानसभाओं में काफी बड़ा है।
जमानत भी बचा नहीं पाया
Udaipur में आठ विधानसभा सीटें हैं: उदयपुर शहर, उदयपुर ग्रामीण, मावली, गोगुंदा, झाड़ोल, वल्लभनगर, खेरवाड़ा और सलूम्बर। यहां से पिछले तीन चुनावों में 192 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे। इनमें से 141 ने अपनी जमानत भी नहीं बचाई। राजनीतिज्ञ फिलहाल टिकट घोषणा की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यही कारण है कि प्रत्याशी इस बार भी मैदान में उतर सकते हैं और पार्टियों को परेशान कर सकते हैं।
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