उत्तराखंड में केंद्र की टीम ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों का किया निरीक्षण, राहत कार्यों की प्रशंसा
उत्तराखंड में हाल की बारिश, भूस्खलन और बाढ़ के कारण उत्पन्न आपदा की स्थिति का आकलन करने के लिए केंद्र सरकार की सात सदस्यीय अंतर मंत्रालयी टीम ने राज्य के कई जिलों का दौरा किया। केंद्रीय गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव आर प्रसन्ना के नेतृत्व में यह टीम सोमवार को उत्तरकाशी, चमोली, पौड़ी, बागेश्वर, रुद्रप्रयाग और नैनीताल के आपदा प्रभावित इलाकों में पहुँची।
प्रभावित क्षेत्रों का किया दौरा, लिया नुकसान का जायजा
टीम ने उत्तरकाशी के धराली-हर्षिल, चमोली के थराली, पौड़ी के सैंजी, बागेश्वर के कपकोट, रुद्रप्रयाग के छेनागाड़ और नैनीताल में राहत और पुनर्वास कार्यों की स्थिति का निरीक्षण किया। टीम ने आपदा पीड़ितों से बातचीत कर उनकी समस्याओं को भी समझा और यह जानकारी बाद में मुख्यमंत्री के साथ साझा की।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात, दी अहम जानकारी
केंद्र की टीम ने बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट की और राज्य में आपदा की स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तराखंड एक आपदा-संवेदनशील राज्य है, जहां मानसून के दौरान भूस्खलन, बाढ़ और जलभराव जैसी गंभीर समस्याएं आम हो गई हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष की अत्यधिक वर्षा से राज्य को भारी जनहानि और संपत्ति का नुकसान हुआ है।
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पूर्वानुमान प्रणाली को सुदृढ़ करने की जरूरत
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक संस्थानों से मिलकर आपदा पूर्वानुमान प्रणाली को और अधिक सटीक एवं प्रभावी बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटना और भू-स्खलन जैसे हादसों से स्थाई नुकसान होता है, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण मुश्किल हो जाता है। इसलिए ऐसे क्षेत्रों के लिए दीर्घकालिक और प्रभावी कार्ययोजना तैयार करना अत्यंत आवश्यक है।
राहत कार्यों की केंद्रीय टीम ने की सराहना
केंद्रीय टीम ने राज्य सरकार द्वारा आपदा राहत कार्यों को “सराहनीय और प्रभावी” बताया। उन्होंने कहा कि मृतकों के परिजनों और पूरी तरह से क्षतिग्रस्त मकानों के मालिकों को ₹5 लाख की तात्कालिक सहायता देना एक साहसिक कदम है, जिससे प्रभावित परिवारों को तत्काल राहत मिली है।
गर्भवती महिलाओं के लिए राज्य सरकार की विशेष पहल की तारीफ
केंद्रीय टीम ने गर्भवती महिलाओं के लिए किए गए विशेष प्रबंधों की भी सराहना की। उन्होंने बताया कि राज्य के प्रत्येक जिले में गर्भवती महिलाओं का डेटा उपलब्ध है और उनके स्वास्थ्य एवं सुरक्षित प्रसव के लिए निरंतर संपर्क और व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। टीम ने यह भी सुझाव दिया कि इस मॉडल को अन्य राज्यों में भी लागू किया जाना चाहिए।
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