Varuthini Ekadashi 2025: सुबह से शाम तक वरूथिनी एकादशी पर इन मुहूर्तों में पूजा करें, मंत्र, भोग और अधिक जानें

Varuthini Ekadashi 2025 Time: कल वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरूथिनी एकादशी मनायी जाएगी। 23 अप्रैल को एकादशी तिथि शाम 04:43 बजे शुरू होगी, पंचांग के अनुसार।
Varuthini Ekadashi 2025: गुरुवार को वरूथिनी एकादशी का व्रत अजाएगा। यह दिन गुरुवार के दिन पड़ने से महत्वपूर्ण हो गया है। वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरूथिनी एकादशी मनाई जाएगी। एकादशी तिथि पंचांग व उदया तिथि के अनुसार 23 अप्रैल को शाम 04:43 बजे शुरू होगी और 24 अप्रैल को दोपहर 02:32 बजे समाप्त होगी। इस दिन श्रीकृष्ण का पूजन होगा। मान्यताओं के अनुसार वरूथिनी एकादशी का व्रत रखने से पुण्य मिलता है और मन की इच्छा पूरी होती है। आइए जानते हैं वरूथिनी एकादशी पर पूजन के शुभ मुहूर्त, भोग, विधि मंत्र और व्रत पारण का समय-
शुभ योग व नक्षत्र: इस दिन शतभिषा नक्षत्र सुबह 10:49 तक रहेगा, जिसके बाद पूर्व भाद्रपद नक्षत्र शुरू होगा। ब्रह्म योग दोपहर 03:56 बजे तक रहेगा, जिसके बाद इन्द्र योग का निर्माण होगा।
वरूथिनी एकादशी पर इन मुहूर्तों में पूजा करें: सुबह से शाम तक
शुभ – उत्तम 05:47 से 07:25
चर – सामान्य 10:41 से 12:19
लाभ – उन्नति 12:19 से 13:58
अमृत – सर्वोत्तम 13:58 से 15:36
शुभ – उत्तम 17:14 से 18:52
अमृत – सर्वोत्तम 18:52 से 20:14
चर – सामान्य 20:14 से 21:36
ब्रह्म मुहूर्त 04:19 से 05:03
प्रातः सन्ध्या 04:41 से 05:47
अभिजित मुहूर्त 11:53 से 12:46
विजय मुहूर्त 14:30 से 15:23
गोधूलि मुहूर्त 18:51 से 19:13
अमृत काल 01:32, अप्रैल 25 से 03:00, अप्रैल 25
व्रत पारण मुहूर्त: 25 अप्रैल को पारण सुबह 05:46 से 08:23 बजे तक होगा। इस दिन द्वादशी सुबह 11:44 बजे समाप्त हो जाएगी।
पूजा-पाठ
मंदिर को स्नान आदि करके सफाई करें
भगवान श्विष्णु का जलाभिषेक
प्रभु को गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें।
अब प्रभु को पीला चंदन और पुष्प दें।
मंदिर में घी का दीपक जलाएं
यदि संभव हो तो व्रत रखें और इसके बारे में सोचें
वरूथिनी एकादशी व्रतकथा पढ़ें
मंत्र जाप
पूरी श्रद्धा से भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें।
प्रभु को एक तुलसी दल के साथ भोग लगाएं
अंत में क्षमा प्रार्थना करें
भोग- केला, गुड़, चने की दाल, किशमिश, केसर की खीर, पंचामृत, फल, मेवा
मंत्र- ॐ नमोः नारायणाय नमः, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय