राज्यदिल्ली

VK Saxena: LG के आरोप का मंत्री ने जवाब दिया, कहा कि परियोजना को बिना सोचे-समझे शुरू किया; अब किस बात को लेकर तकरार 

VK Saxena: दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और उपराज्यपाल वीके सक्सेना के बीच एक और मुद्दा पर जुबानी संघर्ष चल रहा है

VK Saxena: दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और उपराज्यपाल वीके सक्सेना के बीच एक और मुद्दा पर जुबानी संघर्ष चल रहा है। राजनिवास ने परियोजना को बिना विचार-विमर्श के शुरू करने का आरोप लगाया है। जिस पर मंत्री सौरभ भारद्वाज ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। बीजेपी ने भी जांच की मांग की।

गुरुवार को दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच एक नया विवाद शुरू हुआ। गुरुवार को एलजी वीके सक्सेना ने चौबीस अस्पताल परियोजनाओं में देरी पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्हें लगता था कि लोक निर्माण विभाग ने इन परियोजनाओं को शुरू करने का लक्ष्य ठेकेदारों को सौंपना था। उधर, दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पलटवार करते हुए कहा कि एलजी यह दावा कैसे कर सकते हैं कि उन्हें इन निर्माणाधीन अस्पतालों के बारे में जानकारी नहीं थी। एलजी सत्ता का आनंद लेते हैं, लेकिन कर्तव्यों से बच रहे हैं। वहीं, भाजपा ने भी आप को इस मुद्दे पर घेरा।

राजनिवास परियोजनाएं बिना किसी योजना के तैयार

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कहा कि निर्धारित समय से छह से सात वर्ष पीछे चल रहे 24 निर्माणाधीन अस्पतालों के लिए अलग-अलग श्रेणियों में डॉक्टरों, पैरामेडिकल और टेक्निकल स्टाफ के 37 हजार 691 अतिरिक्त पदों की आवश्यकता होगी। ऐसा लगता है कि इन परियोजनाओं का टेंडर जानबूझकर किया गया था।

राजनिवास ने कहा कि 24 अस्पताल परियोजनाओं के भवनों का निर्माण बिना किसी योजना, इक्यूपमेंट, मशीनरी और आवश्यक मानवशक्ति के बिना शुरू किया गया था। एलजी ने कहा कि यह परियोजनाएं बिना सोचे-समझे शुरू की गईं, जो एक प्रकार की उपेक्षा का प्रतीक हैं। दिल्ली में अस्पतालों के नाम पर बनाए गए कंक्रीट के ढांचों को देखेंगे, जो बिना किसी उपकरण, बिस्तर, ऑपरेशन थिएटर, डॉक्टरों, नर्सों और कर्मचारियों के खोखे होंगे। यह जानकर आश्चर्य हुआ कि इन परियोजनाओं के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान मात्र 400 करोड़ रुपये का बजट था, जबकि ठेकेदारों की मध्यस्थता के लिए 600 करोड़ रुपये का बजट था। आप सरकार ने पूरे सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे को ही दांव पर लगा दिया।

राज्यपाल नहीं जानते कि उनकी अनुमति से निर्माण हो रहा है

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एलजी कार्यालय में सभी को पता है कि दिल्ली में पिछले कई वर्षों से नए और पुराने अस्पतालों में नए ब्लॉक के रूप में 14 हजार बिस्तर बनाए जा रहे हैं। हर साल, कैबिनेट इन अस्पतालों की स्थापना के लिए वार्षिक बजट को मंजूरी देता है और विधानसभा में पेश करने से पहले एलजी को भेजा जाता है। एलजी साहब यह दावा कैसे कर सकते हैं कि उन्हें इन निर्माणाधीन अस्पतालों के बारे में जानकारी नहीं थी। एसा लगता है कि एलजी सत्ता सुख लेना चाहते है लेकिन जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं।

भारद्वाज ने भर्ती के सवाल पर कहा कि यह पूरी तरह से एलजी और उनके अधीन विभागों का काम है, जिन्हें डॉक्टरों, विशेषज्ञों, पैरामेडिक्स के नए पद बनाने हैं और फिर उन्हें यूपीएससी और डीएसएसएसबी के माध्यम से भर्ती करना है। एलजी से अपील है कि वह भर्तियों में देरी के लिए जिम्मेदारी तय करें।

भ्रष्टाचार की जांच हो भाजपा

भाजपा विधायकों के साथ दिल्ली विधानसभा नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक शाखा) में इस मुद्दे पर शिकायत की है। गुप्ता ने एसीबी को शिकायत में कहा कि दिल्ली सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में 24 अस्पताल परियोजनाओं को मंजूरी दी, जिनके लिए कुल बजट 5,590 करोड़ रुपये था। उसके बाद भी इन परियोजनाओं में अनावश्यक विलंब हुआ और इनकी लागत में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखी गई है।

Related Articles

Back to top button