पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन क्या है? इसका क्या इलाज है, क्या यह मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा है?

पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन क्या है?

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति की लाइफ क्वालिटी बहुत खराब हो सकती है अगर उनका इलाज नहीं किया जाए। पूरा जीवन भी इससे बर्बाद हो सकता है।

स्ट्रोक बहुत खतरनाक है। यह कभी-कभी जानलेवा भी हो सकता है। स्ट्रोक दिमाग और शरीर दोनों पर बुरा असर डालता है। डॉक्टरों ने स्ट्रोक के बाद कई मरीजों में पोस्ट-स्ट्रोक डिप्रेशन (PTSD) की समस्या देखा है। इसलिए नियमित जांच की सलाह देते हैं। आइए जानें पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन क्या है और इसका उपचार क्या है..।

पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन का कारण

स्ट्रोक के बाद होने वाले डिप्रेशन को पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन कहते हैं। इसके कई कारण बताए गए हैं। स्ट्रोक की जगह, जेनेटिक, सामाजिक सपोर्ट और व्यक्तिगत कारक शामिल हैं। पैरालिसिस की अचानक शुरुआत भावनाओं से प्रेरित हो सकती है। मूड स्विंग न्यूरोकेमिकल बदलावों और ब्रेन चोटों से हो सकता है। स्ट्रोक के बाद होने वाला स्ट्रोक आपके दिनचर्या को भी प्रभावित कर सकता है। इसकी वजह स्ट्रोक से पहले किसी परिवार में ऐसी समस्या होना हो सकता है या स्ट्रोक से पहले डिप्रेशन में रहना हो सकता है।

पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन के लक्षण

Health Professionals ने बताया कि अस्पताल में भर्ती मरीजों में पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन के कुछ लक्षण स्ट्रोक की तरह थे। इनमें थकान, वजन कम होना और सोने की आदतों में बदलाव शामिल हैं। अन्य लक्षणों में डिस्फोरिया, एनहेडोनिया, किसी बात को लेकर पछतावा, मन का एकाग्र न होना, निर्णय लेने में मुश्किल होना और सुसाइड करने का ख्याल आना शामिल हैं। स्ट्रोक से पीड़ित करीब 30% लोगों को बोलने में दिक्कत होती है, जो उन्हें डिप्रेशन में डाल सकता है।

पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन में क्या बदलाव आते हैं

हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन में मरीज उदास रहते हैं, किसी काम में मन नहीं लगता है और कोई भी काम अच्छा नहीं लगता है। 2014 के एक अध्ययन ने स्ट्रोक के बाद डिप्रेशन का खतरा 31 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था।

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पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन का इलाज

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्ट्रोक के बाद डिप्रेशन का इलाज मनोवैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक, समाजिक और रिहैबिलिटेशन पर आधारित होना चाहिए। कुछ अध्ययनों ने थेरेपी को स्ट्रोक के मरीजों में डिप्रेशन के इलाज में भी प्रभावी माना है। बिहैवियर एक्टिवेशन थेरेपी, जो जीवन की खुशियों पर आधारित है, सबसे अच्छी है। इसमें कुछ सकारात्मक अप्रोच दिखाए जाते हैं। मरीज का आत्मविश्वास बढ़ाया जाता है। उन्हें मनोवैज्ञानिक मजबूत बनाया जाता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि जीवन में कुछ ऐसे क्षण हैं जो डिप्रेशन को कम कर सकते हैं। साथ ही, RTMS (Repetitive Transcranial Magnetic Stimulation) और TDCS (Transcranial Direct Current) भी मस्तिष्क को उत्तेजित करते हैं।

पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन की दवाईयां

मनोचिकित्सक पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन का इलाज करने के लिए एंटी-डिप्रेशंट्स भी लेते हैं। ये उपचार भी काफी प्रभावी माने जाते हैं। लेकिन इसमें मरीज की नियमित निगरानी भी होनी चाहिए। चिकित्सकों से सलाह के बाद ही इनका प्रयोग करना चाहिए।

पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन की चुनौतियां

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि पोस्ट स्ट्रोक डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति की लाइफ क्वालिटी बहुत खराब हो सकती है अगर उनका इलाज नहीं किया जाए। पूरा जीवन भी इससे बर्बाद हो सकता है। ताकि मरीज को भविष्य में कोई परेशानी न हो, सही समय पर उचित इलाज करवाना चाहिए।

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