सूखे तोरण को उतारने के बाद करें ये काम, बुरी नजर से बचाएगा और बढ़ाएगा सकारात्मक ऊर्जा

सूखे तोरण को उतारने के बाद उसे फेंकना नहीं चाहिए। जानिए तोरण को मिट्टी में दबाने या पवित्र नदी में प्रवाहित करने के सही उपाय और फायदे।
तोरण लगाना हिंदू त्योहारों और पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जानिए सूखे तोरण को कैसे सही तरीके से उतारें और उसका निपटान कैसे करें ताकि घर में बनी रहे समृद्धि और सकारात्मकता।
तोरण का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
तोरण या बंदनवार, खासकर आम के पत्तों और गेंदे के फूलों से बना होता है, जो पूजा और त्योहारों के समय घर के दरवाजे पर लगाया जाता है। इसे शुभ माना जाता है क्योंकि यह घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और मां लक्ष्मी का वास होने का प्रतीक है। तोरण लगाने की परंपरा न सिर्फ घर की शोभा बढ़ाती है बल्कि नकारात्मक शक्तियों को भी दूर रखती है।
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तोरण सूखने पर क्या करें?
अक्सर तोरण 7 से 12 दिनों में सूखने लग जाता है। ऐसे में इसे उतारना और सही तरीके से निपटाना बेहद जरूरी होता है। ज्यादातर लोग सूखा तोरण फेंक देते हैं, जो गलत है। सूखे तोरण को फेंकने की बजाय आप इसे निम्नलिखित तरीकों से निपटा सकते हैं:
पवित्र नदी में प्रवाहित करें- इसे नदी में प्रवाहित करने से यह धरती माता को अर्पित होता है और पुण्य का कार्य माना जाता है।
मिट्टी में दबाएं – सूखे तोरण को मिट्टी में दबा देना सबसे शुद्ध और पर्यावरण के लिए सही तरीका है। इससे तोरण नेचुरली धरती में मिल जाता है और साथ ही उसमें नकारात्मक ऊर्जा भी समाप्त हो जाती है।
मिट्टी में दबाने के फायदे और सकारात्मक ऊर्जा
ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के अनुसार, तोरण में नकारात्मक ऊर्जा भी संचित हो जाती है, जिसे मिट्टी में दबाने से वह धरती माता को अर्पित हो जाती है और घर की सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। जो घर नियमित रूप से तोरण लगाता है, वहां बुरी नजर नहीं लगती और सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसलिए मिट्टी में दबाने को सबसे उत्तम उपाय माना जाता है।
ध्यान रखने योग्य बातें
तोरण उतारते समय इसे सम्मान के साथ करें, ताकि धार्मिक आस्था बनी रहे।
तोरण को मिट्टी में दबाने के लिए साफ-सुथरी और पवित्र जगह चुनें, जैसे मंदिर के आसपास या घर के आंगन में।
सूखे तोरण को जलाना या फेंकना सही नहीं होता क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और पर्यावरण को नुकसान होता है।
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