भारतस्वास्थ्य

World Cancer Day: कैंसर पीड़ितों से दूरी नहीं बल्कि सही सोच है जरूरी

पिछले दो सालों में कोरोना के कई नए वैरिएंट ने दुनियाभर में तबाही मचा दी है। इसका सबसे ज्यादा असर कैंसर रोगियों पर भी पड़ा है। एक अध्ययन के मुताबिक, ब्लड कैंसर के मरीजों को अन्य की तुलना में 57 फीसदी ज्यादा कोरोना से संक्रमित होने का खतरा है। आप सोच रहे होंगे कि आज हम कैंसर के इस वैरिएंट के बारे में क्यों बात कर रहे हैं, वो इसलिए क्योंकि आज यानि 4 फरवरी को हर साल विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। इसे मनाने का उद्देश्य बचाव और उसके प्रति जागरूकता पैदा करना है।

1933 में हुई इसकी शुरुआत
विश्व कैंसर दिवस मनाने की शुरुआत साल 1933 में हुई थी। सबसे पहले इसे जिनेवा स्विट्जरलैंड में यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल के द्वारा मनाया गया था। 1993 में जब यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल की ओर से कैंसर दिवस की स्थापना की गई थी उसी समय कुछ अन्य प्रमुख कैंसर सोसाइटी, ट्रीटमेंट सेंटर, पेशेंट ग्रुप और रिसर्च इंस्टिट्यूट ने भी इसे आयोजित करने में मदद की थी। जानकारी के अनुसार उस समय लगभग 12.7 मिलियन लोग कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे और हर साल तकरीबन 7 मिलियन लोगों की जान कैंसर की वजह से जा रही थी।

गलत धारणा को खत्म करना है उद्देश्य
कैंसर के खतरों के बारे में आम लोगों को जागरूक करने और इसके लक्षण और बचाव के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। दरअसल कुछ लोगों का मानना है कि यह एक ऐसी बीमारी है जो कैंसर पीड़ित को छूने से फैलती है। जिसके कारण वह मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते। इसलिए कैंसर के संबंध में फैली इस गलत धारणाओं को कम करने और कैंसर मरीजों को मोटीवेट करने के लिए इस दिन को मनाया जाता है।

इस साल की थीम
हर साल वर्ष विश्व कैंसर दिवस को मनाने के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है, इस बार की थीम क्लोज द केयर गैप है। इस थीम के साथ यह दिन पूरे विश्‍व में मनाया जाएगा।

कैंसर के प्रकार
.ब्लड कैंसर
.मुंह का कैंसर
.स्तन कैंसर
.गर्भाशय का कैंसर
.सर्वाइकल कैंसर
.पेट का कैंसर
.गले का कैंसर
.अंडाशय का कैंसर
.प्रोस्टेट कैंसर
.मस्तिष्क का कैंसर

कैंसर के कारण
. तंबाकू या गुटखे का सेवन
. सिगरेट और शराब पीना
. लंबे समय तक रेडिएशन के संपर्क में रहना
. आनुवंशिक दोष
. शारीरिक निष्क्रियता
. खराब पोषण
. मोटापा

कैंसर के लक्षण
. शरीर के किसी हिस्से में गांठ महसूस होना
. निगलने में कठिनाई होना
. पेट में लगातार दर्द बने रहना
. घाव का ठीक न होना
. त्वचा पर निशान
. मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
. कफ और सीने में दर्द
. थकान और कमजोरी महसूस करना
. निप्पल में बदलाव
. शरीर का वजन अचानक से कम या ज्यादा होना

Related Articles

Back to top button