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हरियाली अमावस्या पर नान्दीमुख श्राद्ध क्यों है खास? जानिए इसका महत्व और लाभ

हरियाली अमावस्या पर नान्दीमुख श्राद्ध करने का विशेष महत्व होता है। जानिए इस दिन श्राद्ध क्यों किया जाता है, उसकी विधि और इससे मिलने वाले आध्यात्मिक लाभ।

हरियाली अमावस्या पर नान्दीमुख श्राद्ध: हरियाली अमावस्या का पर्व हर साल सावन मास में मनाया जाता है, और इस वर्ष यह पावन तिथि 24 जुलाई 2025 (गुरुवार) को पड़ रही है। इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि यह दिन गुरु पुष्य नक्षत्र के शुभ योग में आ रहा है। जहां एक ओर इस दिन पौधारोपण करना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है, वहीं दूसरी ओर नान्दीमुख श्राद्ध करने का भी विशेष विधान है। आइए जानें कि हरियाली अमावस्या पर नान्दीमुख श्राद्ध क्यों किया जाता है और इससे क्या लाभ होते हैं।

नान्दीमुख श्राद्ध क्या है?

नान्दीमुख श्राद्ध को ‘वृद्धि श्राद्ध’ या ‘आभ्युदयिक श्राद्ध’ भी कहा जाता है। यह श्राद्ध पारंपरिक ‘प्रेत श्राद्ध’ नहीं होता, बल्कि यह शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले पितरों की कृपा प्राप्त करने हेतु किया जाता है। ‘नान्दी’ का अर्थ होता है आनंद और ‘मुख’ का अर्थ है शुरुआत- यानि शुभ कार्यों की शुभ शुरुआत से पहले पितरों को स्मरण कर तर्पण किया जाता है।

हरियाली अमावस्या पर नान्दीमुख श्राद्ध क्यों किया जाता है?

1. शुभ कार्यों में पितरों की कृपा के लिए

विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, अन्नप्राशन जैसे मांगलिक कार्यों से पहले नान्दीमुख श्राद्ध किया जाता है, ताकि कार्य में कोई विघ्न न आए और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त हो।

2. पहली बार श्राद्ध के लिए

अगर किसी पितर का पहली बार श्राद्ध किया जा रहा हो, तो उसे विधिवत नान्दीमुख श्राद्ध के रूप में किया जाता है। इससे पितरों को मुक्ति मिलती है और वे संतानों को आशीर्वाद देते हैं।

हरियाली अमावस्या पर नान्दीमुख श्राद्ध का महत्व

  • यह तिथि पितरों की शांति और मोक्ष के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।

  • गुरु पुष्य योग में किया गया श्राद्ध सद्गति और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है।

  • यह दिन तर्पण, पिंडदान, सपिंडक कर्म के लिए आदर्श होता है।

नान्दीमुख श्राद्ध करने की विधि

शिव पुराण में नान्दीमुख श्राद्ध की विस्तृत प्रक्रिया बताई गई है। इस श्राद्ध को पंडितों के मार्गदर्शन में किया जाना चाहिए। इसमें निम्न कर्म होते हैं:

  • षोडश मातृका पूजन

  • वसोर्धारा कर्म

  • पवित्रिकरण, प्राणायाम और पंचगव्य निर्माण

  • तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोज और आशीर्वाद

संपूर्ण विधि के दौरान पवित्रता और श्रद्धा बनाए रखना अति आवश्यक है।

नान्दीमुख श्राद्ध के लाभ

मांगलिक कार्यों में कोई विघ्न नहीं आता

पितृदोष, देवदोष और सर्पदोष से मुक्ति मिलती है

पितरों की आत्मा को शांति मिलती है

जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है

परिवार पर पितरों की कृपा बनी रहती है

Hariyali Amavasya 2025 मुहूर्त

  • तिथि: 24 जुलाई 2025 (गुरुवार)

  • विशेष योग: गुरु पुष्य नक्षत्र

  • सर्वश्रेष्ठ कार्य: पौधारोपण, नान्दीमुख श्राद्ध, तर्पण, दान

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