धर्म

Kumbh Sankranti कब है? पुत्र शनि के घर जाएगा, जानें स्नान के मुहूर्त और महत्व

Kumbh Sankranti कब है?

सूर्य देव की एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को संक्रांति कहते हैं। Kumbh Sankranti 2024 में कब होगी? स्नान के समय और महत्व

सूर्य हर महीने एक राशि में प्रवेश करता है। माघ मास की कुंभ संक्रांति पर पूजा-पाठ और यम-सूर्य की पूजा करने से सुख-सौभाग्य और ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।

मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से स्वस्थ जीवन मिलता है। सूर्य फरवरी में कुंभ राशि में प्रवेश करेगा, इसलिए इस दिन कुंभ संक्रांति मनाई जाएगी। 2024 की कुंभ संक्रांति की तिथि और मुहूर्त जानें।

कुंभ संक्रांति 2024 डेट (Kumbh Sankranti 2024 Date)

13 फरवरी 2024 को कुंभ संक्रांति होगी, जैसा कि पंचांग बताता है। आज दोपहर 03 बजकर 54 मिनट पर सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। कुम्भ संक्रांति के दिन काले तिल का दान करना बहुत शुभ माना जाता है।

कुंभ संक्रांति 2024 मुहूर्त (Kumbh Sankranti 2024 Muhurat)

  • कुंभ संक्रान्ति पुण्य काल – सुबह 09:57 – सुबह 15:54, अवधि – 05 घण्टे 56 मिनट्स
  • कुंभ संक्रान्ति महा पुण्य काल – दोपहर 02:02 – दोपहर 03:54, अवधि – 01 घण्टा 51 मिनट्स

शुभ मुहूर्त का चौघड़िया

  • चर (सामान्य) – सुबह 09.49 – सुबह 11.12
  • लाभ (उन्नति) – सुबह 11.12 – दोपहर 12.35
  • अमृत (सर्वोत्तम) – दोपहर 12.35 – दोपहर 01.59

कुंभ संक्रांति महत्व (Kumbh Sankranti Significance)

पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी का महत्व उतना ही है जितना संक्रांति तिथि का। कुंभ संक्रांति के दिन, सूर्य देव अपने पुत्र शनि की राशि कुंभ में रहते हैं, स्नान करने से अखंड सौभाग्य और मान-सम्मान में वृद्धि मिलती है। आप गेहूं, गुड़, लाल फूल, लाल वस्त्र, तांबा, तिल, आदि को कुंभ संक्रांति पर दे सकते हैं। सूर्य के मजबूत होने से करियर में उन्नति होती है और पिता का प्यार और मदद मिलती है। राजनीतिज्ञों को उच्च पद मिलता है।

Magh Gupt Navratri 2024: शक्ति साधना पर्व 10 फरवरी, माघ गुप्त नवरात्रि से शुरू होता है. जानिए पूजा विधि, सामग्री और मुहूर्त।

कुंभ संक्रांति पूजा विधि (Kumbh Sankranti Puja Vidhi)

  • कुंभ संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करने की परंपरा है. अगर ऐसा ना हो सके तो घर में ही सुबह-सवेरे स्नान कर लें.
  • स्नान के बाद पानी में गंगा जल और तिल मिलाकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें. इसके बाद मंदिर में दीप जलाएं.
  • भगवान सूर्य के 108 नामों का जाप करें और सूर्य चालीसा का पाठ करें.

फेसबुक और ट्विटर पर हमसे जुड़ें और अपडेट प्राप्त करें:

facebook-https://www.facebook.com/newz24india

Related Articles

Back to top button