कर्नाटक से शुरू हुआ हिसाब पर प्रतिबंध का मामला अब धीरे-धीरे देश भर में फैलने लगा है। अब मध्यप्रदेश में भी हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी की जा रही है। प्रदेश के स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने इसे लेकर मंगलवार को एक बयान दिया , इस बयान में उन्होंने कहा कि हिजाब स्कूल यूनिफार्म का हिस्सा नहीं है इसलिए इस पर प्रतिबंध लगाना जाना चाहिए, जिसे हिजाब पहनना है वह अपने घर पर पहने। अगर कोई हिजाब पहनकर स्कूल आता है तो उस पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।
मंत्री जी का यह बयान इंटरनेट मीडिया पर आते ही विवाद भी शुरू हो गया, लगातार मिल रही प्रतिक्रियाओं के बीच मंत्री इंदर सिंह परिवार ने देर शाम एक बार फिर इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो जारी करते हुए बताया कि प्रदेश में आगामी शिक्षा सत्र में स्कूल का नया ड्रेस कोड लागू किया जाना है, विभाग इस पर कार्य कर रहा है। ड्रेस कोड में यह ध्यान रखा जाएगा कि स्कूलों में सभी में समानता और अनुशासन का भाव बना रहे। ड्रेस कोड तैयार होते ही अगले सत्र के लिए विभाग द्वारा स्कूलों को सूचित किया जाएगा।
कर्नाटक में चल रहे हिजाब विवाद पर उन्होंने कहा कि स्कूलों की यूनिफार्म को लेकर जानबूझकर देश के माहौल को खराब करने की कोशिश की जा रही है भारत के मान्यता है कि जिस परंपरा में लोग निवास करते हैं वह उनका अपने घर पर ही पालन करें, स्कूलों में जो यूनिफॉर्म कोड लागू किया गया है वहां उसी का पालन होना चाहिए।
सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि देश के बाहर भी कई लोग इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. पाकिस्तानी सोशल एक्टिविस्ट और नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने भी सोशल मीडिया के जरिए इस विवाद को भयावह बताया और भारतीय नेताओं से अपील की है कि वह मुस्लिम भारतीय महिलाओं को हाशिए पर जाने से रोके।
मलाला ने अपने पोस्ट में लिखा है “हिजाब पहनकर लड़कियों को कॉलेज जाने से रोकना भयावह (scary)है, महिलाओं के कम या ज्यादा कपड़े (less or more clothes)पहनने पर आपत्ति जताई जा रही है, भारतीय नेताओं (Indian leaders) को मुस्लिम महिलाओं को हाशिए पर जाने से रोक लगानी चाहिए।”
कर्नाटक में ही हिजाब विवाद तब शुरू हुआ जब उडुपी के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में 6 मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनकर क्लास में बैठने से रोक दिया गया, जिस पर बखेड़ा खड़ा हो गया। कॉलेज मैनेजमेंट ने नई यूनिफॉर्म पॉलिसी को इसकी वजह बताया तो इसके बाद कुछ लड़कियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर करदी। लड़कियों का तर्क है कि हिजाब पहनने की इजाजत संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत उनके मौलिक अधिकारों में आता है।