कजरी तीज 2025: सुहागिन महिलाएं करें ये खास उपाय, मिलेगा अखंड सौभाग्य और वैवाहिक सुख
कजरी तीज 2025 पर सुहागिन महिलाएं करें ये उपाय: मंत्र जाप, सुहाग का अर्पण और दान से मिलेगा अखंड सौभाग्य और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति। जानें पूजा विधि और खास उपाय।
भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाने वाली कजरी तीज (Kajari Teej) का व्रत इस साल 12 अगस्त 2025, सोमवार को पड़ रहा है। यह दिन सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद पावन माना जाता है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर अपने पति की लंबी उम्र, सुख-शांति और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।
कजरी तीज: परंपरा और महत्व
कजरी तीज को कुछ क्षेत्रों में बड़ी तीज या सत्तू तीज के नाम से भी जाना जाता है। उत्तर भारत के विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश में यह व्रत बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। महिलाएं पारंपरिक गीत गाती हैं, व्रत कथा सुनती हैं और भक्ति में लीन होकर पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं।
कजरी तीज पर जरूर करें ये उपाय
व्रत और पूजा के साथ अगर महिलाएं कुछ विशेष उपाय करती हैं, तो इससे वैवाहिक जीवन में प्रेम, आपसी समझ और सौभाग्य में वृद्धि होती है:
1. मंत्रों का जप करें
पूजा के बाद मां पार्वती और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का जाप अवश्य करें:
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ॐ गौरीशंकराय नमः
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ॐ उमा महेश्वराय नमः
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ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौरी दैव्ये नमः
इन मंत्रों के नियमित जाप से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
2. मां पार्वती को सुहाग का सामान अर्पित करें
पूजा के बाद लाल चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, चुनरी, काजल जैसे सुहाग के प्रतीक मां पार्वती को अर्पित करें। ऐसा करने से पति की आयु लंबी होती है और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
3. हरे रंग के वस्त्र पहनें
यदि वैवाहिक जीवन में तनाव या समस्या बनी हुई है, तो इस दिन हरे रंग के कपड़े पहनकर शिव-पार्वती की पूजा करें और कजरी तीज व्रत कथा का पाठ या श्रवण करें। यह उपाय जीवन में हरियाली और प्रेम लौटाने में सहायक होता है।
4. गरीबों को करें ये दान
पूजा के बाद दूध, दही और मिश्री का दान किसी जरूरतमंद को करें। यह दान कुंडली में शुक्र ग्रह को मजबूत करता है और वैवाहिक जीवन में मिठास लाता है।
कजरी तीज व्रत कैसे करें?
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सुबह सूर्योदय से पहले स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
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घर या मंदिर में शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित कर पूजा करें।
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दिनभर निराहार या निर्जला व्रत रखें।
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शाम को व्रत कथा सुनें और आरती करें।
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व्रत खोलने से पहले चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें।
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