बिजनेस डेस्क। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि इस साल अप्रैल से पहले किए गए क्रिप्टो लेनदेन कर मुक्त नहीं होंगे जैसा कि कुछ लोगों का मानना था। सीबीडीटी के अध्यक्ष जेबी महापात्र ने आज कहा कि इस वित्तीय वर्ष के लिए भी क्रिप्टो-मुद्रा की कर देयता निश्चित है। महापात्र ने एएनआई के हवाले से कहा कि क्रिप्टो निवेशकों को पता होना चाहिए कि अप्रैल 2022 से पहले किए गए लेनदेन कर मुक्त नहीं होंगे।
लगाया जाएगा 30 फीसदी टैक्स
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन पर 30 फीसदी टैक्स का प्रस्ताव रखा था। वर्चुअल डिजिटल असेट्स में ट्रांजेक्शंस में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है और इन ट्रांजेक्शंस की मैग्नीट्यूड और फ्रीक्वेंसी ने एक विशिष्ट टैक्स व्यवस्था प्रदान करना अनिवार्य बना दिया है। वर्चुअल डिजिटल असेट्स के टैक्सेशन के लिए उन्होंने कहा कि मैं यह प्रदान करने का प्रस्ताव करती हूं कि किसी भी वर्चुबल डिजिटल असेट्स के ट्रांसफर से होने वाली किसी भी आय पर 30 फीसदी की दर से टैक्स लगाया जाएगा।
यह भी हैं नियम
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि अधिग्रहण की लागत को छोड़कर ऐसी आय की गणना करते समय किसी भी व्यय या भत्ते के संबंध में कोई कटौती की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके अलावा, वर्चुअल डिजिटल असेट्स के ट्रांसफर से होने वाली हानि को किसी अन्य आय के विरुद्ध समायोजित नहीं किया जा सकता है और वर्चुअल डिजिटल असेट्स के उपहार पर भी प्राप्तकर्ता के हाथों टैक्स लगाने का प्रस्ताव है।
लीगल टेंडर नहीं होगी क्रिप्टोकरेंसी
वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने बुधवार को कहा कि बिटकॉइन या इथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी भारत में कभी भी कानूनी निविदा नहीं बनेगी। उन्होंने कहा कि केवल भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किया गया डिजिटल रुपया कानूनी निविदा होगा। उन्होंने एएनआई से बात करते हुए कहा कि डिजिटल रुपया आरबीआई द्वारा समर्थित होगा जो कभी भी डिफ़ॉल्ट नहीं होगा। पैसा आरबीआई का होगा लेकिन प्रकृति डिजिटल होगी। आरबीआई द्वारा जारी डिजिटल रुपया कानूनी निविदा होगा। हम डिजिटल रुपये के साथ गैर-डिजिटल संपत्ति खरीद सकते हैं जैसे हम हमारे वॉलेट का उपयोग करके या UPI प्लेटफॉर्म के माध्यम से भुगतान करके आइसक्रीम या अन्य चीजें खरीदें।