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उत्तर प्रदेश नहीं रहा ‘बीमारू’, अब बना ‘बेमिसाल’: CAG रिपोर्ट में बड़ी आर्थिक उपलब्धि का खुलासा

CAG रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश ₹37,000 करोड़ के राजस्व अधिशेष के साथ देश का शीर्ष राज्य बना, योगी सरकार की आर्थिक नीतियों का असर दिखा।

उत्तर प्रदेश, जिसे कभी ‘बीमारू’ राज्यों की सूची में गिना जाता था, अब देश के सबसे मजबूत और तेजी से विकसित हो रहे राज्यों में शामिल हो गया है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की हालिया रिपोर्ट में यूपी को देश का टॉप राजस्व अधिशेष (Revenue Surplus) राज्य बताया गया है। यह आर्थिक मोर्चे पर प्रदेश की एक बड़ी सफलता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में प्रदेश ने जबरदस्त प्रगति की है।

₹37,000 करोड़ के राजस्व अधिशेष के साथ उत्तर प्रदेश सबसे आगे

CAG की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में उत्तर प्रदेश को ₹37,000 करोड़ का राजस्व अधिशेष हासिल हुआ है। इसका अर्थ यह है कि राज्य की आय, उसके खर्च से अधिक रही है। देश के 16 राजस्व अधिशेष राज्यों में यूपी पहले स्थान पर है। इस सूची में गुजरात, ओडिशा, झारखंड, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य भी शामिल हैं, लेकिन कोई भी यूपी के करीब नहीं पहुंच सका।

योगी सरकार की नीतियों ने बदली आर्थिक तस्वीर

वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से प्रदेश में आर्थिक नीतियों में बड़ा बदलाव आया है। टैक्स कलेक्शन और बजट का आकार लगातार बढ़ रहा है।

  • टैक्स कलेक्शन:
    2012-13 में ₹54,000 करोड़ से 2016-17 में ₹85,000 करोड़ तक पहुंचा।
    2017-18 में ₹95,000 करोड़ से 2024-25 में अनुमानित ₹2.25 लाख करोड़ तक पहुंचा।

  • राज्य बजट का आकार:
    2012-13 में ₹2 लाख करोड़ से 2016-17 में ₹3.46 लाख करोड़
    2017-18 में ₹3.84 लाख करोड़ से 2025-26 तक ₹8.08 लाख करोड़

  • सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP):
    2012-13 में ₹8 लाख करोड़ से 2016-17 में ₹12.5 लाख करोड़
    2017-18 में ₹13.6 लाख करोड़ से 2025-26 तक अनुमानित ₹30 लाख करोड़

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था ने पिछले आठ वर्षों में रफ्तार पकड़ ली है।

राजस्व घाटे से जूझ रहे राज्य

जहां यूपी समेत 16 राज्य अधिशेष में हैं, वहीं 12 राज्य अब भी राजस्व घाटे से जूझ रहे हैं। इसमें आंध्र प्रदेश (-₹43,488 करोड़), तमिलनाडु (-₹36,215 करोड़), राजस्थान, पश्चिम बंगाल और पंजाब जैसे राज्य शामिल हैं। इन राज्यों की कमाई उनके खर्च को पूरा करने में असमर्थ है, जिससे उन्हें केंद्र सरकार से अधिक सहायता लेनी पड़ रही है।

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केंद्र पर निर्भरता बनाम आत्मनिर्भरता

CAG की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पश्चिम बंगाल, केरल, हिमाचल प्रदेश और पंजाब जैसे राज्य राजस्व घाटा अनुदान पर अधिक निर्भर हैं। वहीं, हरियाणा, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक जैसे राज्यों ने टैक्स और नॉन-टैक्स स्रोतों को मजबूत कर आर्थिक आत्मनिर्भरता हासिल की है। हरियाणा की कुल आय का 80% हिस्सा उसकी स्वयं की कमाई से आता है, जो एक मिसाल है।

SGST और वैट से बढ़ी राज्यों की आमदनी

राज्यों की अपनी आय में सबसे बड़ा हिस्सा राज्य GST (SGST) से आता है। इसके अतिरिक्त, शराब, पेट्रोलियम उत्पाद, बिजली पर वैट और एक्साइज ड्यूटी जैसे टैक्स जो GST के दायरे में नहीं आते, वे भी राज्यों के लिए अहम राजस्व स्रोत बन गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022-23 में सभी राज्यों को कुल ₹1.72 लाख करोड़ ग्रांट के रूप में प्राप्त हुए, जिनमें ₹86,201 करोड़ राजस्व घाटा ग्रांट के रूप में दिए गए।

डबल इंजन सरकार की रफ्तार ने बदली यूपी की सूरत

CAG की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश में डबल इंजन की सरकार की सफलता की पुष्टि करती है। पिछले 8 वर्षों में प्रदेश में निवेश, बुनियादी ढांचे, कानून व्यवस्था और टैक्स प्रशासन जैसे क्षेत्रों में बड़े सुधार हुए हैं। इस प्रगति ने न केवल प्रदेश को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया, बल्कि अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श मॉडल भी प्रस्तुत किया है।

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