मुख्यमंत्री नायब सैनी कुरुक्षेत्र में आयोजित समारोह में कैथल, करनाल और यमुनानगर सहित चार जिलों के पात्र कुम्हार परिवारों को पात्रता प्रमाण पत्र सौंपेंगे।
मुख्यमंत्री नायब सैनी: हरियाणा सरकार ने कुम्हार (प्रजापति) समाज के हित में एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए उन्हें पंचायती जमीन पर पारंपरिक बर्तन निर्माण का अधिकार दे दिया है। मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी की अगुवाई में लिए गए इस निर्णय के तहत प्रदेश के लगभग 2,000 गांवों में पंचायती भूमि चिह्नित की गई है, जहां पात्र परिवार मिट्टी के बर्तन बनाने का कार्य स्वतंत्र रूप से कर सकेंगे।
पात्रता प्रमाणपत्र के साथ मिलेगा स्थायी अधिकार-मुख्यमंत्री नायब सैनी
इस योजना के तहत पात्र कुम्हार परिवारों को सरकारी पात्रता प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे, जिससे उन्हें किसी भी पंचायत या राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त होकर काम करने की स्वतंत्रता मिलेगी। पहले गांव की राजनीति के चलते कुम्हार समाज को कई बार अपनी आजीविका से वंचित होना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
13 अगस्त को होगा राज्यभर में प्रमाणपत्र वितरण
राज्य सरकार की योजना के तहत 13 अगस्त को सभी जिलों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें पात्र परिवारों को प्रमाणपत्र सौंपे जाएंगे। मुख्य कार्यक्रम कुरुक्षेत्र में आयोजित होगा, जहां मुख्यमंत्री नायब सैनी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। इसके अलावा, राज्य के विभिन्न मंत्रियों, सांसदों और वरिष्ठ अधिकारियों को अलग-अलग जिलों में कार्यक्रमों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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5 एकड़ पंचायती भूमि पर मिलेगा बर्तन निर्माण का अधिकार
प्रत्येक चयनित गांव में 5 एकड़ पंचायती भूमि को कुम्हार समाज के लिए आरक्षित किया गया है। यह भूमि पंचायत के स्वामित्व में रहेगी, लेकिन उस पर कुम्हार परिवारों का संयुक्त रूप से कार्य करने का अधिकार होगा। इससे उन्हें अपने पारंपरिक व्यवसाय को पुनः सशक्त करने का अवसर मिलेगा।
अब पंचायतें नहीं कर पाएंगी मनमानी
इस फैसले के तहत यह भी सुनिश्चित किया गया है कि पंचायत या सरपंच अब कुम्हार समाज के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं कर सकेंगे। प्रमाणपत्र मिलने के बाद राजनीतिक परिवर्तन या पंचायत बदलाव का इन परिवारों के व्यवसाय पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
बड़ा सामाजिक और राजनीतिक संदेश
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने हाल ही में प्रजापति समाज के सम्मेलन में इस फैसले की घोषणा की थी, जिसे अब लागू कर दिया गया है। इस निर्णय को कुम्हार समाज के सशक्तिकरण और सामाजिक सम्मान की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। साथ ही इसे राज्य में प्रजापति समाज को राजनीतिक रूप से साधने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।
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