धर्म

करवा चौथ 2025: झगड़ा और रोना क्यों माना जाता है अशुभ? जानिए व्रत के दिन की ये विशेष मान्यताएं

करवा चौथ पर झगड़ा और रोना क्यों माना जाता है अशुभ? जानें व्रत के दिन वाणी व आचरण का महत्व, किन बातों से व्रत का फल प्रभावित होता है और शांति से व्रत कैसे सफल करें।

करवा चौथ का व्रत पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सौभाग्य के लिए बहुत विशेष माना जाता है। इसके समय महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी वाणी पर संयम रखें, किसी से भड़क-भड़क कर न झगड़ें और न ही रोने जैसी नकारात्मक भावनाओं में डूबें। पारंपरिक मान्यताओं में कहा गया है कि करवा चौथ पर झगड़ा करना और रोना अशुभ माना जाता है, क्योंकि इससे व्रत की शुभता और पवित्रता प्रभावित होती है।

करवा चौथ पर झगड़ा और रोना क्यों माने जाते हैं अशुभ?

व्रत का उद्देश्य प्रभावित होता है: करवा चौथ व्रत का मुख्य उद्देश्य निष्ठा, प्यार और सौभाग्य का संकल्प है। यदि इस दिन व्रती महिला झगड़ा करती है या रोती है, तो मन में नकारात्मक भावनाएं उत्पन्न होती हैं, जिससे व्रत का पवित्र फल बाधित हो जाता है।

ऊर्जा और भावना का अशुद्ध होना: झगड़ा और रोना दोनों ही भावनात्मक उथल-पुथल को दर्शाते हैं। ऐसे समय पर नकारात्मक उर्जा बनी रहती है, जो व्रत की पूजा-आराधना और चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि को प्रभावित कर सकती है।

पारिवारिक सौहार्द प्रभावित हो सकता है: व्रत की दिनचर्या में समर्पण और शांति का महत्व अधिक है। पति-पत्नी में अनबन आजाए तो उस दिन का महत्त्व और कल्याण कम हो जाता है। इसलिए, झगड़ा करना विशेष दिन पर रिश्तों पर बोझ डालता है।

श्रद्धा और विश्वास का घट जाना: व्रत के दौरान रोना या झगड़ना यह संकेत देता है कि मन स्थिर नहीं है और श्रद्धा कमजोर है। परंपराओं में कहा गया है कि ऐसा करने से आत्म विश्वास और संकल्प टूट जाता है।

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कैसे रखें व्रत शांतिपूर्ण और सफल?

वाणी में सौम्यता रखें — मीठे और शांत शब्दों का ही प्रयोग करें।

मन को शांत रखें — ध्यान, जाप या भजन से मन को नियंत्रित करें।

लोगों का आदर करें — माता-पिता, सास-ससुर और अन्य बड़े-बुजुर्गों का प्रणाम और सम्मान करें।

स्वयं को व्यस्त रखें — पूजा, कatha, गीत-भजन आदि में समय लगाएं, जिससे मन न उलझे।

उचित समय पर चंद्रमा को अर्घ्य दें — जिस समय चंद्र उदय हो शुभ मुहूर्त हो, उसी समय व्रत तोड़े।

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