नई दिल्ली(बार एंड बेंच): उमर खालिद और अन्य की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को कहा कि अदालती कार्यवाही पर रिपोर्ट करने के लिए मीडिया का स्वागत है, लेकिन उसे आभासी सुनवाई के स्क्रीनशॉट नहीं लेने चाहिए।
बता दें कि, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने बुधवार को विशेष लोक अभियोजक(special public prosecutor ) अमित प्रसाद द्वारा साझा की गई तस्वीरों के स्क्रीनशॉट साझा करने वाले एक न्यूज पोर्टल पर आपत्ति जताई है।
जॉन ने कहा,“मिस्टर प्रसाद ने कुछ स्क्रीनशॉट (कोर्ट के साथ) साझा किए। नंबर साझा किए गए। मीडिया ने स्क्रीनशॉट लिया और सोशल मीडिया पर डाल दिया यह हमारी अदालती व्यवस्था से बहुत परे है। हाईकोर्ट ने मीडिया को चेतावनी दी थी, कहा था कि, (यह) बहुत से लोगों की निजता का उल्लंघन है ।”
अदालत ने इस मामले पर जोर देते हुए कहा कि वर्चुअल सुनवाई के दौरान स्क्रीन पर रखे गए स्क्रीनशॉट और तस्वीरों को साझा करना उचित नहीं था, और यहां तक कि “अवमानना” भी था।जॉन ने कहा, ” मैं इस मामले में मीडिया की रुचि को समझता हूं, लेकिन हमें ऐसा काम नहीं करना चाहिए जो आरोपी व्यक्तियों के लिए प्रतिकूल हो।”
न्यायाधीश रावत ने बाद में टिप्पणी करते हुए कहा, “अदालत में जो भी तर्क दिया जा रहा है, उसकी सूचना दी जा सकती है लेकिन स्क्रीनशॉट न डालें। रिपोर्ट करें, लेकिन स्क्रीनशॉट न लें।” वहीं जॉन ने यह भी बताया कि स्क्रीनशॉट में आरोपी और गैर-आरोपी दोनों की निजी जानकारी थी।
बता दें कि संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा के बाद 24 फरवरी, 2020 को उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक झड़पें हुईं थी और कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 700 लोग घायल हो गए थे।
ख़बर है कि SPP ने उमर खालिद की याचिका का विरोध किया है, फिलहाल सुनवाई पूरी हो चुकी है। अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी।