माँ गंगा एक बार फिर से चर्चा का विषय बनी हुई है । इस बार वजह है कोरोना की दूसरी लहर के वक्त गंगा में बही अनगिनत शवों की सरकारी अनदेखी। अनदेखी उस हकीकत की, जिसकी गवाह मां गंगा पिछले साल थी । कोरोना की दूसरी लहर के समय गंगा में तैरती मिलीं हजारों लाशों का हिसाब केंद्र सरकार के पास नहीं है।
विपक्षी नेता और टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने सरकार कोरोना की दूसरी महामारी के दौरान गंगा में तैरती मिली लाशों का डेटा मांगा था । इसके जवाब में सरकार की ओर से केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने राज्य सभा को बताया कि सरकार के पास ऐसा कोई भी डेटा मौजूद नहीं है।जल शक्ति मंत्री ने संसद में बयान दिया की “कोविड की दूसरी लहर में मारे गए लोगों के जो शव गंगा में फेंके गए थे , उनके आकड़ो के बारे में केंद्र सरकार के पास कोई भी जानकारी नहीं है ।
विश्वेश्वर टुडु ने सदन में बताया की में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान लावारिस/अज्ञात, जले हुए या अधजली लाशें गंगा नदी और उसके आस-पास के इलाकों में तैरते हुए पाए जाने की जानकारी मिली थी। ये मामले खास तौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ जिलों में पाए गए थे।
आपको बता दे की यह कोई पहला मौका नहीं है जब केंद्र की भाजपा सरकार ने किसी मामले पर डेटा न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ा हो। इससे पहले भी केंद्र की सरकार ने कोरोना लाक्डाउन के दौरान घर लौटते समय मारे गए मजदूरों के बारे में भी कोई जानकारी नहीं होने की बात कही थी। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने पिछले साल हुए किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के बारे में भी कोई स्पष्ट आंकड़ा न होने की बात कही थी । इन सभी मामलों को लेकर कांग्रेस और अन्य पार्टियां सरकार पे हमेशा निशाना साधती रहती है ।