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उत्पन्ना एकादशी 2025: शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें, सोने जैसा चमकेगा आपका भाग्य

उत्पन्ना एकादशी 2025: जानें शिवलिंग पर चढ़ाने योग्य वस्तुएं, पूजा विधि और उपाय, जिससे बढ़े धन, यश और सौभाग्य।

उत्पन्ना एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक विशेष व्रत है। यह दिन माता के जन्म और राक्षस मुर के वध का प्रतीक भी माना जाता है। इस साल उत्पन्ना एकादशी 15 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु और शिव की कृपा पाने के लिए कुछ विशेष उपाय करने से घर में सुख-शांति, धन और यश की प्राप्ति होती है।

उत्पन्ना एकादशी का महत्व

उत्पन्ना एकादशी का व्रत बहुत शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन एकादशी माता का जन्म हुआ था और उन्होंने राक्षस मुर का वध कर तीनों लोकों को मुक्ति दिलाई थी। इसी कारण इसे Utpanna Ekadashi कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ ही शिवलिंग पर कुछ वस्तुएं अर्पित करने से विशेष लाभ होता है।

शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें

1. दूध मिश्रित जल और बिल्व पत्र

सुबह स्नान के बाद शिवलिंग पर दूध मिश्रित जल से अभिषेक करें। इसके बाद 11 या 21 बिल्व पत्र चढ़ाएं और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। आप बिल्व पत्र पर चंदन या अष्टगंध से ‘ॐ’ लिखकर अर्पित कर सकते हैं। यह उपाय आर्थिक तंगी दूर करने और घर में सुख-शांति बनाए रखने के लिए बहुत शुभ माना जाता है।

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2. शमी पत्र

अगर भाग्य साथ नहीं दे रहा या लगातार असफलता मिल रही है, तो शमी के पत्ते शिवलिंग पर चढ़ाएं। शमी के पत्तों को शनिदेव से जोड़ा जाता है, इसलिए इसे चढ़ाने से शनि की ढैया और साढ़ेसाती के नकारात्मक प्रभाव से मुक्ति मिलती है।

3. काले तिल

शास्त्रों के अनुसार काले तिल चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है। उत्पन्ना एकादशी के दिन शिवलिंग पर जल में काले तिल मिलाकर अर्पित करने से धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं और घर में बरकत आती है। यह उपाय दुर्भाग्य को दूर कर सौभाग्य बढ़ाने में मदद करता है।

4. शुद्ध घी

अगर समाज में मान-सम्मान और यश पाना चाहते हैं, तो शिवलिंग पर शुद्ध गाय का घी अर्पित करें। इसके बाद चंदन का लेप करने से यश और मान बढ़ता है।

उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।

  2. भगवान विष्णु की पूजा के बाद किसी शिव मंदिर जाएं।

  3. शिवलिंग पर पहले जल और दूध का अभिषेक करें।

  4. इसके बाद बिल्व पत्र, शमी पत्र, काले तिल और घी अर्पित करें।

  5. अंत में घी का दीपक जलाकर वैदिक मंत्रों का जप और आरती करें।

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