विटामिन D सप्लीमेंट: रोज़ाना बनाम हफ्ते में एक बार – कौन सा तरीका है ज्यादा असरदार?

“विटामिन D सप्लीमेंट रोज़ाना लें या हफ्ते में एक बार? जानिए डॉक्टर अखिलेश यादव से विटामिन D डेली और वीकली डोज़ के फायदे, असर और सही तरीका।”

आज की व्यस्त जीवनशैली में विटामिन D की कमी आम समस्या बन गई है। हड्डियों की मजबूती, मांसपेशियों की सेहत, इम्यूनिटी और मानसिक स्वास्थ्य में विटामिन D की अहम भूमिका होती है। इसी वजह से डॉक्टर अक्सर विटामिन D सप्लीमेंट लेने की सलाह देते हैं। लेकिन सवाल यह है कि विटामिन D डेली लेना बेहतर है या हफ्ते में एक दिन लेना? मैक्स हॉस्पिटल वैश्याली के ऑर्थोपेडिक्स और जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉक्टर अखिलेश यादव ने इस पर विस्तार से बताया।

विटामिन D क्यों है जरूरी?

डॉक्टर अखिलेश यादव के अनुसार, विटामिन D शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है। इससे हड्डियां और जोड़ मजबूत रहते हैं। विटामिन D लेने से मांसपेशियों में ऐंठन और कमजोरी कम होती है, ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा घटता है, इम्यून सिस्टम मजबूत रहता है और थकान व मूड डिसऑर्डर जैसी समस्याएं नियंत्रित रहती हैं।

विटामिन D डेली सप्लीमेंट का असर

रोजाना 1000–2000 IU विटामिन D लेना सबसे प्राकृतिक और संतुलित तरीका माना जाता है।

फायदे:

शरीर में विटामिन D का स्तर धीरे-धीरे और स्थिर रूप से बढ़ता है।

डेली डोज़ शरीर को लगातार सपोर्ट देती है।

छोटी मात्रा में सेवन होने के कारण अवशोषण आसान होता है।

बुजुर्गों और पाचन समस्या वाले लोगों के लिए बेहतर।

लंबे समय तक हड्डियों और मांसपेशियों को स्थायी फायदा।

किसके लिए डेली डोज़ बेहतर:

बुजुर्ग

गर्भवती महिलाएं

ऑस्टियोपोरोसिस या लगातार कमी वाले मरीज

शारीरिक मेहनत करने वाले लोग और एथलीट

विटामिन D वीकली सप्लीमेंट का असर

हफ्ते में एक बार 60,000 IU की टैबलेट लेना तेज़ी से कमी को पूरा करने में मदद करता है।

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फायदे:

विटामिन D का स्तर तेजी से बढ़ता है।

भूलने वालों के लिए आसान।

शरीर में स्टोरेज की तरह काम करता है।

शुरुआती बूस्टर कोर्स में असरदार।

किसके लिए वीकली डोज़ बेहतर:

जिनका विटामिन D लेवल बहुत कम है

जो रोज़ाना दवा नहीं ले पाते

डॉक्टर द्वारा शुरू किए गए बूस्टर कोर्स के दौरान

डेली और वीकली में कौन बेहतर?

डॉक्टर अखिलेश यादव के अनुसार, दोनों ही विकल्प सही हैं, लेकिन किसे चुनना है यह मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है।

डेली डोज़: स्थिर और प्राकृतिक तरीका, दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त।

वीकली डोज़: तेज़ी से कमी को पूरा करने में मदद करती है, लेकिन अक्सर कुछ हफ्तों के बाद डेली मेंटेनेंस डोज़ पर शिफ्ट किया जाता है।

विटामिन D लेते समय सावधानियां

फैट के साथ लें, इससे अवशोषण बेहतर होता है।

बिना डॉक्टर की सलाह हाई डोज़ न लें।

हर 6 महीने में ब्लड टेस्ट करवाएं।

पर्याप्त कैल्शियम के साथ लें।

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