Yogi Adityanath: योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के 56 लाख गरीब बुजुर्गों को वृद्धा पेंशन देने का वादा पूरा किया है। मात्र वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में, 56 लाख गरीब बुजुर्गों के खाते में 1,000 रुपए प्रति माह की पेंशन दी गई है। सरकार ने 1,67,975 लाख रुपये इसके लिए खर्च किए हैं।
CM Yogi Adityanath ने अपनी जनकल्याणकारी नीतियों से राज्य के हर वर्ग की प्रगति की बागडोर रखी है। यही कारण है कि आज उत्तर प्रदेश विकास की ओर तेजी से बढ़ रहा है। CM योगी की नीतियों में भी राज्य के बुजुर्गों का पूरा ध्यान रखा गया है। योगी सरकार प्रदेश के लोगों को बुढ़ापे में किसी पर निर्भर न रहने देने के लिए वृद्धावस्था पेंशन योजना बना रही है।
योगी सरकार की इस पहल का उद्देश्य बुजुर्गों को पैसे देना है ताकि वे अपने अंतिम वर्षों में परेशानियों से बच सकें और सम्मान और गरिमा के साथ जी सकें। CM योगी ने विकासखंड और ग्राम पंचायत स्तर पर बुजुर्गों की सूची बनाने का आदेश दिया था। कहा गया था कि अगर तय लक्ष्य से ज्यादा पात्र वृद्ध अगर मिलते हैं तो उन्हें भी इस योजना का लाभ मिलेगा। यह सीएम योगी की कार्यशैली और समाज कल्याण विभाग की सक्रियता का नतीजा है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ही तय लक्ष्य को प्राप्त कर लिया गया है।।
योगी सरकार गरीब बुजुर्गों का ख्याल रख रही
यह योजना राज्य के बुजुर्गों के लिए वरदान साबित हो रही है। 60 वर्ष से अधिक उम्र के आर्थिक रूप से कमजोर बुजुर्गों को वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत हर महीने ₹1000 की पेंशन मिल रही है, जो उनके जीवन-यापन में मदद करती है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2022–2023 में 55,68,590 बुजुर्गों को योजना का लाभ मिला है, जिस पर ₹6,46,434.06 लाख खर्च हुए हैं। वहीं वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में ₹1,67,975 लाख सीधे लाभार्थियों के खाते में भेजे गए।
डिजिटल और पारदर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से योग्य बुजुर्गों को मिलने वाले लाभ
योगी सरकार ने योजना का लाभ वृद्धजनों तक पहुंचाने के लिए पूरी प्रक्रिया डिजिटल और पारदर्शी बनाई है। उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण विभाग की वेबसाइट https://sspy-up.gov.in पर अब कोई भी योग्य व्यक्ति योजना का लाभ ले सकता है। इससे सरकारी कार्यालयों में घूमने की जरूरत नहीं होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में खंड विकास अधिकारी और शहरी क्षेत्रों में उप जिलाधिकारी आवेदनों की पुष्टि करते हैं।
बुजुर्गों की मदद करने वाली योजना
यह योजना मुख्य रूप से वृद्ध लोगों तक पहुंचने के लिए बनाई गई है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और पेंशन के माध्यम से अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं। आवेदक वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए 60 वर्ष की आयु होनी चाहिए। साथ ही, उनकी आय सीमा के भीतर होनी चाहिए। ग्राम्य क्षेत्रों में वार्षिक आय सीमा ₹46,080 है, जबकि शहरी क्षेत्रों में ₹56,460 है।
योजना के लाभार्थियों की निरंतर वृद्धि
पिछले कुछ वर्षों में, इस योजना से लाभार्थियों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। 2018-19 में 40,71,580 बुजुर्गों को इस योजना का लाभ मिला, जिसमें ₹187913.10 लाख खर्च हुए। 2019–20 में यह 47,99,480 हो गया और ₹269774.45 लाख व्यय हुआ। 2020-2021 में 51,24,155 लाभार्थियों को 369449.13 लाख रुपये की पेंशन दी गई। 2022–2021 में 51,92,779 बुजुर्गों को 427790.56 लाख रुपये की पेंशन दी गई थी। 2020–2022 में यह 54,97,237 तक पहुंच गया, जिस पर ₹608374.50 लाख खर्च हुए। 2022–2023 में, 55,68,590 बुजुर्गों को इस योजना का लाभ मिला है और कुल ₹646434.06 लाख खर्च हुए हैं। वहीं वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में ₹1,67,975 लाख सीधे लाभार्थियों के खाते में भेजे गए।
आर्थिक सुरक्षा के साथ बुजुर्गों के आत्मसम्मान का ख्याल रख रही योगी सरकार
यह योजना सिर्फ आर्थिक सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि वृद्धजनों को समाज में सम्मानित जीवन जीने का अवसर भी प्रदान कर रही है। वृद्धावस्था में आर्थिक सुरक्षा मिलने से बुजुर्गों में आत्मसम्मान का विकास होता है। खासतौर पर वे बुजुर्ग जो किसी अन्य आय स्रोत से वंचित हैं, उनके लिए यह पेंशन आत्मनिर्भरता का स्रोत बन रही है। सरकार की इस योजना से बुजुर्ग न केवल अपने दैनिक जीवन की आवश्यकताएं पूरी कर पा रहे हैं, बल्कि उन्हें अपने परिवार पर वित्तीय निर्भरता कम करने में भी मदद मिल रही है। यह योजना सरकार के बुजुर्गों के प्रति समर्पण और उनके कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।