फुलेरा दूज की रोचक कथा और महत्व जानें।

फुलेरा दूज कथा

12 मार्च 2024 को फूलों का दूज है। इस दिन श्रीकृष्ण और राधा को फूल चढ़ाने का महत्व है। फुलेरा दूज क्यों मनाया जाता है और इसका उद्भव कैसे हुआ?

12 मार्च 2024 को फूलों का दूज है। ये उत्सव श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस दिन से ब्रज में होली होती है। फुलेरा दूज पर श्रीकृष्ण और राधा रानी के साथ फूलों की होली खेली जाती है।

कुंवारी लड़किया इस दिन व्रत रखती है ताकि उसके जीवनसाथी उचित हो। ये त्योहार प्रेम संबंधों को मजबूत करते हैं। इस दिन श्रीकृष्ण और राधा जी ने कई फूलों से श्रृंगार किया, जिससे शादी में बाधा दूर होती है और घर में सुख-शांति आती है। फुलेरा दूज का त्योहार आखिर कैसे शुरू हुआ, इसकी कहानी पढ़ें।

क्यों मनाई जाती है फुलेरा दूज

पौराणिक कहानियों में कहा गया है कि भगवान श्री कृष्ण अपने अधिकांश कार्यों में व्यस्त होने के कारण कई दिनों तक राधा जी से नहीं मिल पाए थे। ऐसे में राधा रानी बहुत दुखी हो गईं और उनसे नाराज भी हुईं। गोपियां भी दुखी थीं। प्रकृति भी राधा की उदासी से प्रभावित होने लगी। वन में फूल सूखने लगे। श्रीकृष्ण ने प्रकृति देखकर राधा की स्थिति समझी।

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फुलेरा दूज की कथा

श्रीकृष्ण ने राधा और रानी को उनसे मिलने के लिए भेजा। प्रकृति श्रीकृष्ण और राधा रानी के मिलन पर खिलखिला उठी; फूलों और लताओं में फिर से जीवन आया। चारों ओर सुंदरता छा गई। गोपियां खुशी से झूम उठीं। श्रीकृष्ण ने राधा रानी पर एक फूल फेंक दिया। बाद में राधा रानी ने भी श्रीकृष्ण पर फूल फेंक दिए। बाद में गोपियों ने भी एक दूसरे पर फूल फेंकने लगे। फूलों से होली मनाने की परंपरा इस तरह शुरू हुई। यह सुंदर घटना फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को हुई थी, इसलिए इसे फुलेरा दूज कहते हैं।

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