पंजाब सरकार ने BBMB में 3,000+ सरकारी नौकरियों के लिए अलग कैडर बनाया। अब सिर्फ पंजाब के युवाओं को मिलेगा रोजगार, मुख्यमंत्री भगवंत मान का ऐतिहासिक फैसला।
पंजाब सरकार ने एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला लिया है जिसने न सिर्फ प्रदेश के युवाओं के लिए बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर खोले हैं, बल्कि पंजाब के अधिकारों को मजबूत तरीके से स्थापित भी किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) के लिए एक अलग कैडर बनाने को औपचारिक मंज़ूरी दे दी गई।यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब लंबे समय से BBMB में पंजाब के हिस्से की सीटें खाली पड़ी थीं और उन पर अन्य राज्यों के कर्मचारियों की नियुक्ति हो रही थी,जिसके चलते पंजाब के युवाओं में भारी निराशा और नाराज़गी थी।
बैठक के बाद वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने मीडिया को बताया कि अब तक पंजाब के कर्मचारी BBMB में डेप्यूटेशन पर भेजे जाते थे, लेकिन कई बार उनके आदेश रद्द हो जाते थे और उनकी जगह बाहर के कर्मचारियों को ले लिया जाता था। इससे न सिर्फ पंजाब के अधिकार प्रभावित होते थे, बल्कि युवाओं को मिलने वाली सरकारी नौकरियाँ भी लगातार कम हो रही थीं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अब जब एक अलग कैडर बनाया जा रहा है, तो BBMB में पंजाब के हिस्से की सभी सीटों पर सिर्फ पंजाब के युवा ही नियुक्त किए जाएंगे, जिससे यह पक्का हो जाएगा कि 3,000 से ज़्यादा सरकारी नौकरियां सिर्फ पंजाब के बेटों-बेटियों को मिलेंगी।
सरकार के अनुसार, BBMB में पंजाब के हिस्से के कुल 3,165 पद वर्षों से खाली पड़े हैं। इनमें PSPCL, जल संसाधन, और स्वास्थ्य विभाग से संबंधित बड़ी संख्या में पद शामिल हैं। इन पदों को अब पंजाब सरकार स्वयं भरेगी, जिससे हजारों युवाओं को स्थायी सरकारी रोजगार मिलेगा। इसके साथ ही कैबिनेट ने BBMB में 2,458 नए पद बनाने की भी मंज़ूरी दी है, जो विभिन्न परियोजनाओं, पावर हाउसों और विभागों के लिए होंगे। यह फैसला पंजाब में रोजगार और प्रशासनिक मजबूती, दोनों स्तरों पर एक बड़ा बदलाव लाने वाला है।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पंजाब सरकार और BBMB अधिकारियों के बीच लंबे समय से कई मुद्दों पर टकराव रहा है। इन टकरावों में हरियाणा के साथ पानी के बंटवारे का मामला, BBMB क्लास-I कर्मियों का डेटा साझा करना, भाखड़ा और नंगल बांधों के लिए CISF कर्मियों की नियुक्ति संबंधी विवाद, और हाल ही में हिमाचल प्रदेश तथा राजस्थान को स्थायी सदस्यता दिए जाने का मुद्दा शामिल है। पंजाब सरकार ने इन फैसलों को पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 का उल्लंघन बताया था।
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केंद्र ने राज्य सरकार को खाली पदों को भरने के लिए लिखा था, लेकिन पंजाब सरकार ने तर्क दिया था कि BBMB में भर्ती प्रणाली अलग होने के कारण इन पदों को पंजाब के वित्तीय कैडर में भरना संभव नहीं था।
ऐसे में, अलग कैडर बनाकर मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने एक दमदार संदेश दिया है कि वह अपने हक़ के सवाल पर न झुकेगी और न पीछे हटेगी। यह फैसला सीधे तौर पर यह विश्वास दिलाता है कि भगवंत मान की सरकार ही वह एकमात्र ताकत है जो ‘पंजाब का पानी और पंजाब की नौकरी’ जैसे संवेदनशील मुद्दों पर मजबूती से लड़ रही है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस फैसले को पंजाब के गौरव और युवाओं के भविष्य से जुड़ा फैसला बताते हुए कहा कि यह सरकार पंजाबियों के हक की लड़ाई लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। उनका कहना था कि अब BBMB में पंजाब के हिस्से की एक भी सीट दूसरे राज्यों को नहीं दी जाएगी। पंजाब के युवाओं को अब वह अवसर मिलेगा जिसके वे हकदार हैं।
यह कदम न सिर्फ रोजगार पैदा करेगा, बल्कि उन हजारों परिवारों में उम्मीद जगाएगा जो वर्षों से सरकारी नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे थे। पंजाब सरकार का यह निर्णय स्पष्ट संदेश देता है कि वर्तमान सरकार सिर्फ वादे नहीं करती, बल्कि उन्हें ज़मीनी स्तर पर लागू भी करती है। BBMB में अलग कैडर बनाना पंजाब के अधिकारों की रक्षा और युवाओं के सशक्तिकरण की दिशा में सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है।
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